नागौर में विकसित हो फूड प्रोसेसिंग पार्क, बागवानी के लक्ष्यों में हो वृद्धि

नागौर के उद्यमी व किसानों से बजट को लेकर बात, एग्रोनोमिक्स विषय पर चर्चा में सामने आए कई सुझाव

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नागौर. नागौर जिले की करीब 80 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है और कृषि यहां का प्रमुख व्यवसाय है। सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं होने तथा खेती में हो रहे नवाचार से जागरूक होकर किसानों ने पिछले कुछ वर्षों में आधुनिक खेती की ओर रुख किया है, जिसके परिणामस्वरूप अच्छे परिणाम भी सामने आए हैं। कुछ किसानों ने सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर खेती को फायदे का सौदा बनाया है तो कुछ किसान खुद के दम पर प्रदेश-देश ही नहीं विदेशों तक अपना नाम कमा रहे हैं, लेकिन जितनी संभावनाएं कृषि के क्षेत्र में हैं, उतना काम अभी तक नहीं हो पाया है। सरकारी प्रोत्साहन एवं सहायता मिले तो जिले के किसान एवं उद्यमी न केवल खुद दूसरों को रोजगार देने में सक्षम हो सकते हैं, बल्कि सरकार को भी अच्छा राजस्व मिल सकता है। आगामी आम बजट व राज्य बजट को लेकर आज हमने ‘एग्रोनोमिक्स’ विषय पर की किसानों, उद्यमियों व अधिकारियों से विशेष बात-
आवेदन के अनुरूप दिए जाएं लक्ष्य
प्याज उत्पादन में के क्षेत्र में नागौर का नाम देशभर में अग्रणी जिलों में है, नागौर का प्याज विदेशों तक निर्यात होता है। ऐसे में बजट में नागौर जिले को प्याज भंडारण के लक्ष्यों का आवंटन अधिक होना चाहिए। वर्तमान में जिले में प्याज भंडारण के करीब 4 हजार आवेदन लम्बित चल रहे हैं। इसके साथ राष्ट्रीय बागवानी मिशन में नागौर जिले के लिए अनार को शामिल करते हुए लक्ष्य दिए जाने चाहिए, ताकि किसानों को सरकारी योजना का लाभ मिल सके। कुल मिलाकर आवेदन के अनुरूप लक्ष्य दिए जाएं तो कृषि क्षेत्र में अच्छे परिणाम आएंगे।
– अर्जुनराम मुण्डेल, कृषि अधिकारी,

ग्रीन हाउस के लक्ष्य बढ़ाएं जाएं
जिले के किसान ग्रीन हाउस बनाना चाहते हैं, लेकिन सरकारी अनुदान के लक्ष्य कम होने से जिले में अब तक काफी कम किसान इस योजना का लाभ ले पाए हैं। इसी प्रकार जिले में सामुदायिक जल स्रोत के लक्ष्यों को भी बढ़ाया जाना चाहिए। नागौर जिले की अधिकतर पंचायत समितियां भूजल की दृष्टि से अतिदोहित की श्रेणी में आ चुकी हैं, इसको ध्यान में रखते हुए वर्षा के जल को संजोने के लिए सामुदायिक जल स्रोत बनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना होगा।
– दिलीप चौधरी, प्रगतिशील किसान, गोगोर
गोगेलाव में बने फूड प्रोसेसिंग पार्क
नागौर कृषि प्रधान जिला है और यहां अधिकतर जनसंख्या खेती का व्यवसाय करती है। जीरा, मैथी, ईसबगोल, सौंफ आदि का उत्पादन नागौर में अच्छा होता है और गुणवत्ता के लिहाज से भी अच्छे हैं। ऐसे में जिले में यदि कृषि से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए तो किसान एवं उद्यमी के साथ अन्य लोगों को भी फायदा होगा। गोगेलाव में विकसित किए जा रहे औद्योगिक क्षेत्र में फूड प्रोसेसिंग पार्क को प्राथमिकता देनी चाहिए।
– हीरालाल भाटी, एग्रो उद्यमी, नागौर
खाली पद भरे जाएं
उद्यानिकी को बढ़ावा देने के लिए उद्यान विभाग की योजनाओं के लक्ष्य पंचायत समिति व कृषि पर्यवेक्षक क्षेत्र वार आवंटित किए जाएं। सहायक कृषि अधिकारी मुख्यालयों पर या कम से कम नई बनाई गई पंचायत समितियों पर कृषि पर्यवेक्षक उद्यान के पद स्वीकृत हों। ताकि किसानों को योजनाओं की जानकारी मिल सके और वे उनका लाभ उठा सकें। उद्यानिकी के लक्ष्यों में भी बढ़ोतरी होनी चाहिए।
– महावीरसिंह, प्रगतिशील किसान, भदोरा
किसान कल्याण शुल्क समाप्त हो
केन्द्र सरकार को आम बजट में जहां एग्रो बेस इंडस्ट्री से जुड़ी योजनाओं का सरलीकरण करना चाहिए, ताकि आम आदमी तक योजना का लाभ पहुंच सके। साथ ही राज्य सरकार को अपने बजट में मंडी टेक्स व किसान कल्याण टेक्स को समाप्त कर कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि कृषि व उद्योग दोनों को बढ़ावा मिले। इसके साथ गोगेलावा में औद्योगिक क्षेत्र में छोटे उद्यमियों को कृषि आधारित उद्योग खोलने के लिए मौका देना चाहिए।
– भोजराज सारस्वत, अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती इकाई, नागौर
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