Nagaur. कनक आराधना भवन में खरतरगच्छ जैन साध्वी विधुतप्रभा, मृदृला, आत्मनिधी महाराज के सानिध्य में सिद्धचक्र महापुजन का आयोजन किया गया
नागौर. कनक आराधना भवन में खरतरगच्छ जैन साध्वी विधुतप्रभा, मृदृला, आत्मनिधी महाराज के सानिध्य में सिद्धचक्र महापुजन का आयोजन किया गया। खरतरगच्छ जैन संघ के अध्यक्ष गौतम कोठारी ने बताया कि इस महापुजन यशवंत गोलेच्छा की ओर से कराई गई। इनका पुजा में सहयोग प्रिया सुराणा ने किया। इसमें कुल 35 जनो ने भाग लिया। इस दौरान चिराग खंजाची ने भजनों की प्रस्तुति दी। इस सिद्धचक्र महापुजन के मुख्य लाभार्थी मांगीलाल विमलचंद आशीष कोठारी थे।
सिद्धिचक्र की महिमा अपरंपार
इस दौरान हुए प्रवचन में साध्वी विधुतप्रभाŸ ने कहा कि जैन धर्म में नवपद ओली यानी कि जिसमें नौ दिन आयम्बिल तप होत है। इसमें दिन में एक समय मात्र उबला धान का ही आहार किया जाता है। आराधना के साथ में श्री सिद्धचक्र” की आराधना की जाती है। इसकी महिमा अपरंपार है यह समस्त विध्नो को नष्ट करती है। जैन साध्वी आत्मनिधि ने कहा कि शुद्ध आत्मस्वरूप अर्थात आत्मा की निर्मल अवस्था होती है। इसमें जहाँ आत्मा दोष रहित अवस्था को प्राप्त होती है, वहीं आत्मा में रहीं भलीनता नष्ट हो जाती है। श्री सिद्धचक्र” की आराधना निर्मलता की वृद्धि करने वाली एवं समस्त दुखों का नाश करने वाली है। इस दौरान इस पदमचंद कोठारी, सुमेरमल डागा, प्रदीप डागा,गुमान मल कोठारी, शायरमल रेखावत, सुभाष बोथरा,दिनेश बोथरा,शुभम नाहटा, खेमचंद खंजाची गणपत कोठारी आदि मौजूद थे।
103 वें जन्मदिन पर पर्यावरण संरक्षण की दी सीख
नागौर. निकटवर्ती ग्राम खेराट में खेतानाथ भारी ने पाँचवीं पीढ़ी के साथ अपना जन्मदिन पीपल और बरगद के पौधे लगाकर मनाया। आपरेशन दिर्घायु टीम सदस्य राजू ने बताया कि दादाजी शुरू से ही पर्यावरण के प्रति सचेत रहे हैं। इस बार उन्होंने अपनी तपस्यास्थली पर बरगद और पीपल के पौधे लगाकर जन्मदिन मनाकर अपनी भावी पीढ़ी में जसनाथजी की शिक्षाओं का संदेश दिया ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाए और नशे से दूर रहे।उनके छोटे भाई के पोते भँवर नाथ ने जागरण का कार्यक्रम रखकर जसनाथजी के 36 नियमों में से पर्यावरण संरक्षण से जुड़े नियम भावी पीढ़ी के समक्ष रखे ताकि वर्तमान समय में पर्यावरण के बिगड़ते सन्तुलन को समय रहते सुधारा जा सके। कालड़ी बाड़ी के महंत भँवर नाथ ने युवा पीढ़ी को नशे से दूर रहने का संदेश दिया। पर्यावरण गतिविधि संयोजक शिवनाथ सिद्ध ने बताया कि हमें अपने जन्मदिन पर केक संस्कृति के बजाय पर्यावरण संरक्षण जैसे कार्यक्रम रखने चाहिए। इस मौके पर प्रताप नाथ, नारायण नाथ,ईश्वर नाथ, मान नाथ,रामचंद्र सिद्ध, रामदेवसिद्ध, धूड़ नाथ, भँवर नाथ सिद्ध,मोटनाथ चाऊ,सूरज,शिव आदि ने इसके पेड़ बनने तक सेवा का संकल्प लिया।