खबरों के साथ सामाजिक सरोकार के कार्यों में भी पत्रिका रहता है आगे, पिछले वर्षों में कई कार्य करवाए

राजस्थान पत्रिका स्थापना दिवस विशेष : जल संरक्षण के लिए अमृतं जलम् तो पर्यावरण संरक्षण के लिए हरियाळो राजस्थान अभियान बने जागरुकता की मिसाल- जिले में पत्रिका के शराबबंदी, फसल बीमा योजना, पान मैथी, नागौर स्थापना दिवस, तिरंगा अभियान बने परिवर्तन के माध्यम

<p>बख्तासागर तालाब</p>
नागौर. 65 वर्ष के सफर में राजस्थान पत्रिका समाचार प्रकाशन के साथ सामाजिक सरोकार के कार्यों में भी हमेशा अग्रणी रहा है। सामाजिक सरोकार से जुड़े कार्यों में जल संरक्षण के लिए ‘अमृतं जलम्’ अभियान के तहत परम्परागत स्रोतों की खुदाई से लेकर उनके संरक्षण, सौंदर्यकरण के कार्य, पर्यावरण संरक्षण के लिए ‘हरियाळो राजस्थान’ अभियान में गांव-गांव सरकारी विद्यालयों व सावर्जनिक स्थानों पर पौधरोपण करवाकर मरूधरा की धरती हरा-भरा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
नागौर जिले की बात करें पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान पत्रिका द्वारा चलाए गए अभियान के तहत नागौर जिला मुख्यालय के जड़ा तालाब, बख्तासागर तालाब, प्रताप सागर तालाब का कायाकल्प करने में पत्रिका ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तो बावडिय़ों के संरक्षण व साफ-सफाई का अभियान भी पत्रिका ने चलाया, जिसके बाद सरकार एवं जनप्रतिनिधियों ने बजट स्वीकृत कर मरम्मत करवाई। कुचामन की बावड़ी के लिए तो प्रधानमंत्री तक ने ट्वीट किया था। इसी प्रकार शराब के खिलाफ इंकलाब, फसल बीमा की लूट, नागौर का स्थापना समारोह, हाउसिंग बोर्ड में किए गए भ्रष्टाचार को उजागर करने में पत्रिका ने सजग प्रहरी की भूमिका निभाई है। वहीं देश के राष्ट्रीय पर्वों से पूर्व तिरंगा रैलियां निकालकर घर-घर तिरंगा फहराने की जागरुकता भी पत्रिका ने जगाई है, उसी की बदौलत नागौर शहर में 100 फीट ऊंचा तिरंगा लगाने का काम अंतिम चरण में है।

नागौर स्थापना दिवस का आयोजन शुरू करवाया
नागौर काफी प्राचीन शहर है, जिसका महाभारत जैसे ग्रंथ में भी उल्लेख मिलता है। ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के बावजूद प्रशासन द्वारा नागौर का स्थापना दिवस नहीं मनाया जा रहा था। राजस्थान पत्रिका ने नागौर का स्थापना दिवस की तिथि घोषित करवाने एवं स्थापना दिवस मनाने के लिए अप्रेल 2018 में अभियान शुरू किया। शुरुआत में पत्रिका ने समाचार प्रकाशित कर बताया कि इतिहास की पुस्तकों में नागौर के स्थापना का जिक्र आखातीज (अक्षयतृतीया) के दिन का किया हुआ है। शहरवासियों की मांग एवं पत्रिका अभियान का दबाव होने पर नगर परिषद सभापति ने प्रशासनिक कमेटी की बैठक बुलाकर आखातीज को स्थापना दिवस मनाने का निर्णय ले लिया। 18 अप्रेल 2018 को पहली बार नागौर का स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया तथा हर वर्ष आखातीज पर नागौर का स्थापना दिवस मनाने का निर्णय लिया गया।
जड़ा तालाब बना पर्यटन स्थल, अब चलेंगी नावें
शहर के ऐतिहासिक जड़ा तालाब का सौंदर्यकरण करने तथा शहर को नौकायन की सौगात देने के लिए करीब साढ़े पांच साल पहले शहरवासियों व प्रशासन के सहयोग से शुरू किया गया अभियान आज मूर्त रूप ले चुका है। अभियान शुरू करने के बाद जड़ा तालाब के चारों तरफ करोड़ों रुपए के विकास कार्य हुए हैं, जिसमें घाटों का निर्माण, सिटी पार्क का विकास, वीर अमरसिंह राठौड़ की छतरियां व प्राचीन बावड़ी का जीर्णोद्धार आदि शामिल है। तालाब में नौकायन का ट्रायल हो चुका है और अब जल्द ही नियमित नौकायन शुरू होने वाला है, जिसके बाद शहरवासी एवं बाहर से आने वाले लोग न केवल यहां नौकायन का लुत्फ उठा सकेंगे, बल्कि यहां वीर अमरसिंह का पैनोरमा, छतरियां, पार्क एवं बावड़ी आदि को देख भी सकेंगे।
जिले में शराबबंदी का माहौल बनाया
नागौर जिले सहित पूरे प्रदेश में आए दिन शराब के दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं। जहरीली शराब से किसी की मौत तो कभी किसी परिवार टूटना आम बात हो गई है। शराब का नकारात्मक असर गरीब लोगों पर ज्यादा होता है। समाज में दिनों-दिन बढ़ रहे जहर के कारोबार के खिलाफ पत्रिका ने अप्रेल 2016 में ‘शराब के खिलाफ इंकलाब’ शीर्षक अभियान शुरू किया और एक महीने में कई गांवों में विरोध होने लगा और ग्रामीण बैठकें करके शराबबंदी के निर्णय लेने लगे। इस अभियान से खासकर महिलाएं ज्यादा जुड़ी। पत्रिका अभियान का बड़ा असर यह हुआ कि गांवों में वैध दुकानों की आड़ में चलने वाली अवैध ब्रांचों को बंद करवा दिया और जिले के एक दर्जन से अधिक गांवों में पूर्णत: शराबबंदी हो गई।
फसल बीमा में किसानों से होने वाली लूट के खिलाफ आवाज उठाई
मौसत आधारित फसल बीमा योजना के माध्यम से किसानों से होने वाली लूट को लेकर राजस्थान पत्रिका ने जनवरी 2016 में अभियान चलाकर न केवल योजना की खामियों को उजागर किया, बल्कि पिछले वर्षों में बीमा कम्पनियों द्वारा किसानों से वसूली गई प्रीमियम राशि व उसकी तुलना में किए गए क्लेम के बड़े अंतर को भी समाचारों के माध्यम से बताया। पत्रिका अभियान के तहत जिला मुख्यालय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के सम्मेलन आयोजित करवाए गए और योजना में सुधार की मांग सरकार तक पहुंचाई। अभियान का सबसे बड़ा असर यह हुआ कि केन्द्र सरकार ने उसी साल फसल बीमा की पूरी योजना ही बदल कर नई फसल बीमा नीति लागू की। नई नीति में भी ऋणी किसानों के लिए बीमा करवाना अनिवार्य था, जिसको लेकर समाचार प्रकाशित कर जनप्रतिनिधियों के माध्यम से किसानों की पीड़ा सरकार तक पहुंचाई तो सरकार ने पिछले साल बीमा की अनिवार्यता समाप्त कर दी।
हाउसिंग बोर्ड का भ्रष्टाचार उजागर किया
नागौर जिला मुख्यालय पर राजस्थान आवासन मंडल द्वारा बसाई गई 2096 मकानों की आवासीय कॉलोनी के मकानों का निर्माण करने वाले ठेकेदारों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के मुद्दे को अभियान चलाकर उठाया। पत्रिका ने समाचार प्रकाशित कर हाउसिंग बोर्ड द्वारा दिए गए घटिया निर्माण वाले मकानों की पोल खोली। साथ ही कॉलोनी में सीवर लाइन, पानी की पाइपलाइन, मकानों में पानी व बिजली की फिटिंग आदि कार्य में किए गए भ्रष्टाचार को भी उजागर किया। अभियान के दौरान अक्टूबर 2015 के अंतिम दिनों में मुख्यमंत्री का नागौर दौरा हुआ। मुख्यमंत्री ने औचक निरीक्षण के तहत हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी पहुंचकर नागौर सहित पूरे प्रदेश में हाउसिंग बोर्ड के निर्माण कार्यों की जांच एसीबी से कराने के निर्देश दिए। चार अधिकारियों को निलम्बित भी किया गया।
नागौर पान मैथी को नोटिफाई करवाया
देश-विदेश में अपनी खुशबू व गुणों के चलते विशेष पहचान बनाने वाली नागौरी पान मैथी (कसूरी मैथी) को नोटिफाई कमोडिटी में शामिल कराने क लिए पत्रिका ने जनवरी 2017 में अभियान शुरू किया। अभियान के तहत हमने यह बताया कि विश्वभर में अपनी महक बिखरने वाली पाथ मैथी को सरकारी पहचान की दरकार है। इसके साथ क्षेत्र के प्रतिनिधियों को तैयार किया, उनके माध्यम से कलक्टर को ज्ञापन दिलवाया, जिला परिषद की बैठक में मुद्दा उठाया। तमाम प्रयासों के बाद 25 जनवरी को कलक्टर ने कृषि विभाग के अधिकारियों से रिपोर्ट मांगकर सरकार को प्रस्ताव भिजवा दिया। चारों तरफ से दबाव बनाने एवं किसानों की आवाज सरकार तक पहुंचाने के बाद कृषि मंत्री ने बजट सत्र के दौरान 27 फरवरी 2017 को विधानसभा में नागौर पान मैथी को नोटिफाई कमोडिटी (कृषि जिंस) में शामिल करने की घोषणा की।
स्वतंत्रता सेनानियों को दिलवाया सम्मान
आजादी की लड़ाई में अपना योगदान देने वाले जिले के स्वतंत्रता सेनानियों को आजादी के 75 साल बाद भी सम्मान नहीं मिला। स्वतंत्रता सेनानियों के नाम से किसी सरकारी संस्था, स्कूल, चौराहे या मार्ग का नाम नहीं होने से युवा पीढ़ी उनको भूलती जा रही थी। राज्य सरकार ने नामकरण करने के लिए वर्ष 2000 में कलक्टर से प्रस्ताव भी मांगे, लेकिन अधिकारियों ने रुचि नहीं दिखाई। पत्रिका ने जिले के 49 स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान दिलाने एवं भावी पीढ़ी उनको याद रखे, इसके लिए उनके नाम से सरकारी स्कूलों, मार्गों व संस्थाओं का नामकरण करने के लिए ‘जरा याद उन्हें भी कर लो…’ के नाम से अभियान चलाकर जिम्मेदार अधिकरियों का ध्यान आकृष्ट किया, जिसे जिला कलक्टर ने गंभीरता से जिला और 15 अगस्त 2020 को एक साथ 34 स्कूलों में पुस्तकालय कक्षों का नामकरण किया गया। इसके साथ स्थानीय निकायों के अधिकारियों ने लाडनूं, परबतसर, कुचामन, नावां में स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर मार्गों का नामकरण किया।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.