खाद्य सामग्री के 40 फीसदी नमूनों में ‘मिलावट’ साबित, बेखौफ मिलावटखोर

नाकाफी साबित हो रही मिलावटखोरों पर जुर्माने की कार्रवाई- दीपावली को लेकर जिले में फिर शुरू हुआ जांच अभियान

<p>40 percent samples of food items proved to be &#8216;adulterated&#8217; in Nagaur</p>
नागौर. दीपावली का त्योहार नजदीक आने पर खाद्य पदार्थों में मिलावट होने की संभावना को देखते हुए चिकित्सा विभाग ने एक बार फिर जांच अभियान शुरू कर दिया है। लेकिन पिछले चार-पांच साल की कार्रवाई एवं नमूनों की जांच रिपोर्ट यह बता रही है कि स्थिति दिनों-दिन खराब हो रही है और मिलावटखोरों में जुर्माने का खौफ नहीं है। यही वजह है कि गत वर्ष दीपावली पर राज्य सरकार द्वारा की गई सख्ती के बावजूद खाद्य पदार्थों में मिलावट कम नहीं हुई। क्योंकि वर्ष 2020 में खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा लिए गए कुल नमूनों में से 35.41 प्रतिशत से मिस ब्रांड, सब स्टेण्डर्ड व अनसेफ पाए गए, वहीं इस वर्ष अब तक लिए गए कुल नमूनों में 40.32 प्रतिशत मिस ब्रांड, सब स्टेण्डर्ड व अनसेफ पाए गए हैं। यानी गत वर्ष की सख्ती के बाद मिलावटियों में कार्रवाई का जो ‘डर’ होना चाहिए, वह देखने को नहीं मिला। इसका कारण ढूंढ़े तो प्रथम दृष्टया यही है कि जिनके नमूने फेल हुए, उनके खिलाफ जुर्माने लगाने की कार्रवाई अमल में लाई गई, जो उनके लिए काफी नहीं है। ऐसे में सरकार को इस एक्ट के तहत जुर्माने के साथ अन्य कार्रवाई के प्रावधान भी जोडऩे चाहिए, ताकि मिलावटखोर मिलावट करने से पहले 100 बार सोचे।
35 लाख से अधिक जनसंख्या एवं 17 लाख 718 वर्ग किलोमीटर में फैले नागौर जिले में 14 अक्टूबर से शुरू किए गए अभियान के तहत आगामी 4 नवम्बर तक जिला मुख्यालय सहित जिलेभर के शहरों एवं कस्बों में खाद्य पदार्थों के नमूने लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे। आमजन व उपभोक्ताओं को शुद्ध खाद्य पदार्थ मिले, इसके लिए फूड सेफ्टी और स्टैण्डर्ड एक्ट 2006 के अंतर्गत की जाने वाली कार्रवाई का दायरा पिछले पांच साल से लगातार बढ़ाया जा रहा है, लेकिन उसी अनुपात में मिलावटखोरों की भी संख्या भी बढ़ रही है।
नागौर : पांच साल की कार्रवाई पर एक नजर
वर्ष – कुल नमूने – फेल – कोर्ट में पेश
2017 – 86 – 34 – 34
2018 – 131 – 44 – 44
2019 – 159 – 56 – 56
2020 – 240 – 85 – 85
2021 – 130 – 50 – 27
(वर्ष 2021 के आंकड़े अब तक के हैं।)
मुख्य रूप से इनकी होती है जांच
दीपावली व होली के त्योहार सहित आम दिनों में खाद्य पदार्थों में मिलावट की आशंका को लेकर जिले में चलाए जाने वाले शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत मुख्य रूप से दूध, मावा, पनीर एवं अन्य दुग्ध उत्पादों, आटा, बेसन, खाद्य तेल व घी, सूखे मेवे तथा मसालों की जांच की जाती है।
इसलिए जरूरी है जांच
– दीपावली के दिन नजदीक आ चुके हैं। ऐसे में बड़े मिष्ठान भंडारों पर मिठाइयां बनाने से लेकर नमकीन तैयार करने के लिए जिस सामग्री की जरूरत होती है, वह आने लगी है। साथ ही कई विक्रेताओं ने इनका भंडारण शुरू कर दिया है। ऐसे में यदि समय पर जांच होती है तो इसकी गुणवत्ता की स्थिति सामने आ जाएगी।
– लोगों ने भी सूखे मेवे लेने शुरू कर दिए हैं, वहीं विभिन्न प्रकार की नमकीन व अन्य खाद्य वस्तुएं भी लेने लगे हैं।
लाखों रुपए का जुर्माना, फिर भी असर नहीं
पिछले चार-पांच साल में खाद्य सुरक्षा को विभिन्न व्यापारिक संस्थानों से लिए गए नमूनों की जांच के बाद जो खाद्य पदार्थ अमानक पाए गए, उन व्यापारिक फर्मों के विरूद्ध लाखों रुपए का जुर्माना लगाया है। इसके बावजूद मिलावट का यह गोरखधंधा कम होने की बजाए बढ़ रहा है। जानकारों का कहना है कि मिलावटखोर मिलावट से जितना कमाते हैं, उसका 10 फीसदी भी जुर्माना नहीं लगता, इसलिए कार्रवाई के बावजूद वे मिलावट करना बंद नहीं करते। इसके लिए कानून में सजा के प्रावधान कड़े करने होंगे।
कार्रवाई शुरू कर दी है
त्योहारों का समय आने पर खाद्य पदार्थों में मिलावट होने की संभावना अधिक रहती है, इसलिए सरकार ने इसमें और अधिक सतर्कता बरतने व खाद्य पदार्थों में मिलावट पर अंकुश लगाने के निर्देश दिए हैं। जिले में जिला कलक्टर के निर्देशानुसार खाद्य सुरक्षा अधिकारी राजेश जांगीड़ द्वारा ऐसे खाद्य पदार्थ उत्पादक, बड़े थोक विक्रेता और खुदरा विक्रेताओं के चिह्नीकरण करने व संदिग्ध खाद्य पदार्थों के नमूने लेने की कार्रवाई की जा रही है। आमजन भी मिलावटखोर के खिलाफ शिकायत दे सकते हैं, जिस पर विभाग द्वारा कार्रवाई की जाएगी तथा शिकायतकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।
– डॉ. मेहराम महिया, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, नागौर
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