क्या होते है PSU और Banking Fund, जो देते हैं Fixed Deposit से ज्यादा Return

Banking और PSU Funds को अपने कुल एसेट्स का कम से कम 80 फीसदी हिस्सा उस जैसी संस्थाओं में करना होता है निवेश
31 मई तक करीब 19 Banking और PSU Debt Scheme है उपबल्ध, जिनकी AUM है 89,962 करोड़ रुपए की

<p>What are PSUs and banking funds, which give more returns than FD</p>

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के दौर ( Coronavirus Era ) में फिक्स्ड डिपोजिट की ब्याज दरों ( Fixed Deposit ) में काफी गिरावट देखने को मिली है। ऐसे में लोगों का रुझान ऐसे निवेश की ओर है जहां से उन्हें ज्यादा से ज्यादा रिटर्न हासिल हो सके। ऐसे में लोगों को मौजूदा समय में बैंकिंग और पीएसयू फंड्स ( Banking and PSU Funds Return ) की ओर आकर्षित हो रहे हैं। जोकि फिक्सड इनकम फंड ( Fixed Income Fund ) होते हैं और डेट और मनी मार्केट में इंवेस्ट ( Investments in Debt and Money Market ) करते हैं।

ऐसे फंड बैंकों, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग और पब्लिक फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस जारी करते हैं। सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड आफ इंडिया ( Securities and Exchange Board of India ) के नियमानुसार बैकिंग और पीएसयू फंड्स को अपने कुल एसेट्स का कम से कम 80 फीसदी हिस्सा उन्हीं जैसी इंस्टीट्यूशंस में इंवेस्ट करना होता है। डेट और मनी मार्केट में जो बैंक और पीएसयू फंड्स जारी होते हैं उनकी उनकी क्रेडिट क्वालिटी बाकी फंड के मुकाबले बेहत होती है। आंकड़ों की मानें तो 31 मई 2020 तक करीब 19 बैकिंग और पीएसयू डेट स्कीम उपबल्ध है, जिनकी एयूएम 89,962 करोड़ रुपए की है।

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चार तरीकों से सकते हैं निवेश
1. हाई क्रेडिट क्वालिटी मेनटेन करना: ऐसी स्कीम अधिकतर हाई क्वालिटी वाले फंड में इंवेस्ट को टारगेट करती है।
2. शॉर्ट टू मॉडरेट ड्यूरेशन प्रोफाइल= ऐसी स्कीम में मॉडरेट इंटरेस्ट रेट रिस्क होता है। दोनों तरह के फंड के पोर्टफोलियों की टाइम लिमिट 2 से 5 साल होती है।
3. मेच्योरिटी तक रखें: ऐसी योजनाओं को मेच्योरिटी तक रोके रखना जरूरी है। डेट औऱ मनी मार्केट से इस तरह की योजनाओं में मेच्योरिटी पर ब्याज के साथ प्रिंसीपल अकाउंट भी मिलता है।
4. मध्यम अवधि के लिए सक्रिय प्रबंधन: निधि प्रबंधक अपनी ब्याज दर आउटलुक के आधार पर सक्रिय अवधि कॉल करते हैं। पिछले एक साल में ब्याज दरें गिरने के चलते इस तरह की योजनाओं में डबल डिजिट का ग्रोथ मिला है।

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बैंकिंग और पीएसयू फंड्स में आपको क्यों निवेश करना चाहिए?
मिराए एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स इंडिया प्रा. लिमिटेड प्रोडक्ट्स हेड वैभव शाह के अनुसार बैंकिंग और पीएसयू फंड्स में इंटरेस्ट रिस्क मध्यम अवधि के होते हैं। जबकि कम ब्याज दरों के बाद भी आपकी धनराशि लाभान्वित होती है, बढ़ती ब्याज दर के माहौल में नकारात्मक जोखिम सीमित होता है। ये योजनाएं आम तौर पर एक अच्छी क्रेडिट गुणवत्ता होने के कारण परिपक्वता के लिए आकर्षक रिटर्न देती है। सबसे पहले, सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक जिसने बैंकिंग और पीएसयू फंड को अच्छा रिटर्न देने में सक्षम बनाया है, वह है बेहतर क्रेडिट गुणवत्ता ’।

वैभव शाह के अनुसार ऐसे उपकरण जिनमें ये योजनाएं सेबी के जनादेश के अनुसार निवेश करती हैं वे स्वाभाविक रूप से उच्च क्रेडिट गुणवत्ता के होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके पास सरकार का समर्थन है। बैंक (सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र दोनों) उच्च क्रेडिट रेटिंग का आनंद लेते हैं क्योंकि वे विनियमित निकाय हैं और आमतौर पर अच्छी तरह से पूंजीकृत हैं।

उनके अनुसार दूसरी बात यह है कि बैंकिंग और पीएसयू फंड ने ज्यादातर डेट फंड श्रेणियों को बेहतर बनाया है। परिपक्वता प्रोफ़ाइल स्पेक्ट्रम भर में बैंकिंग और पीएसयू फंड श्रेणी के मुकाबले कई अन्य डेट फंड श्रेणियों का औसत वार्षिक रिटर्न बेहतर रहा है। बैंकिंग और पीएसयू फंड स्पष्ट रूप से अधिकांश डेट फंड श्रेणियों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं।

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बाजार की स्थिति
वैभव शाह बाजार के मौजूदा आर्थिक माहौल को देखते हुए कहते हैं कि विकास की गति धीमी होने के साथ और आरबीआई एक मौद्रिक नीति के लिए प्रतिबद्ध है, डेट म्यूचुअल फंड पारंपरिक फिक्स्ड इनकम प्रोडक्ट्स को पछाड़ने की संभावना रखते हैं। साथ ही, भारत में कुछ समय से बिज़नेस और बिज़नेस के साथ क्रेडिट का माहौल बिगड़ रहा है।

लॉकडाउन के कारण कई जारीकर्ताओं की ऋण सर्विसिंग क्षमता संदिग्ध हो सकती है। मौजूदा परिस्थितियों में बैंकिंग और पीएसयू फंड अच्छी तरह से अनुकूल हैं क्योंकि उनके पास आकर्षक उपज, मध्यम ब्याज दर जोखिम और सबसे महत्वपूर्ण, उच्च क्रेडिट गुणवत्ता है।

ये फंड्स मध्यम जोखिम वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं। अगर निवेशक 3 साल से अधिक समय तक निवेश करते रहे तो लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ का आनंद ले सकते हैं। यदि बैंकिंग और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम अपनी निवेश जरूरतों के लिए उपयुक्त हैं, तो निवेशकों को अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करना चाहिए।

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