3 लाख डायरेक्टर्स अवैध करार इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार ने इन कंपनियों की जानकारी को भारतीय रिजर्व बैंक , सेंट्रल बोर्ड ऑफ डॉयरेक्ट टैक्स और दूसरी वित्तीय यूनिट्स के साथ सांझा किया है। ताकि पूरी जानकारी उपलब्ध हो सके। गौरतलब है कि इसके पहले सरकार ऐसी कंपनियों के 3 लाख से ज्यादा प्रमोटर्स और डायरेक्टर्स को अवैध करार दे चुकी है जिन्होंने 3 साल से रिटर्न नहीं भरा है।
कैसे हुआ खुलासा दरअसल जब ये कंपनिया पूरी तरह से कार्यरत थी तब उनमें कोई ज्यादा लेन-देन नहीं होता था। लेकिन नोटबंदी के बाद अचानक इनकी गतिविधि तेज हो गई, जिसके चलते संदेह पैदा हुआ। पीएमओ के बनाए और संयुक्त रूप से रेवेन्यू सेक्रेटरी और कॉरपोरेट अफेयर्स सेक्रेटरी की अगुवाई वाले स्पेशल टास्क फोर्स की पांच बार बैठक हो चुकी है और डिफॉल्टर कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जा चुकी है।
– बैंको की ओर से आई जानकारी में हुआ खुलासा
– 21,000 करोड़ के लेन-देन का मामला
– 62,300 कंपनियों 88,000 बैक खातों से लेन-देन
– अभी 1.6 लाख कंपनियों की जानकारी मिलनी बाकि – नोटबंदी के बाद खातों में अचानक आई तेजी
– 21,000 करोड़ के लेन-देन का मामला
– 62,300 कंपनियों 88,000 बैक खातों से लेन-देन
– अभी 1.6 लाख कंपनियों की जानकारी मिलनी बाकि – नोटबंदी के बाद खातों में अचानक आई तेजी
– मामले की हो रही है पूरी पड़ताल – 3 लाख डायरेक्टर्स और प्रमोटर्स पर कसा जा चुका है शिंकजा