प्रॉपर्टी को बनाइए इनकम टैक्स बचाने का जरिया, होगी बड़ी बचत

राकेश यादव, सीएमडी, अंतरिक्ष इंडिया ग्रुप

नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2017-18 खत्म होने को है और अब आपको भी टैक्स बचाने की चिंता बढ़ गई होगी। आपने सही तरीके, सही जगह पर निवेश नहीं किया तो आपकी मेहनत की कमाई का बड़ा हिस्सा टैक्स के तौर पर चला जाएगा। इससे बचने के लिए अब आपको जल्दी ही कुछ करना होगा वर्ना वित्त वर्ष खत्म होते होते आपके पास टैक्स बचाने का समय नहीं रहेगा। वर्तमान समय में आप प्रॉपर्टी को टैक्‍स बचाने का बहुत ही बेहतर जरिया बना सकते हैं। अगर, आप 30 फीसदी टैक्‍स ब्रेकेट में आते हैं तो एक नई प्रॉपर्टी खरीद कर अच्‍छी खासी बचत कर सकते हैं।
आयकर की इन धाराओं का उठाएं फायदा
प्रॉपर्टी की खरीदारी पर आप टैक्स छूट का लाभ आयकर अधिनियम की धारा 80-सी एवं धारा 24 (बी) के तहत ले सकते हैं। आयकर अधिनियम की धारा 80-सी के तहत हाउसिंग लोन के प्रिंसिपल रीपेमेंट पर अधिकतम 1,50,000 रु. तक की छूट प्राप्त की जा सकती है एवं धारा 24 (बी) के तहत हाउसिंग लोन के ब्याज पर अधिकतम 2,00,000 रु. तक छूट प्राप्त की जा सकती है। यानी, अगर आप पहला घर खरीद हैं तो 3.5 लाख रुपए का टैक्‍स छूट प्राप्‍त कर सकते हैं।
पति-पत्‍नी एक साथ लें टैक्‍स छूट का लाभ
यदि पति-पत्नी दोनों वर्किंग हैं, तो दोनों के नाम पर लोन होने से दोनों को टैक्स बेनीफिट मिलता है। होम लोन के लिए अदा किए गए ब्याज़ पर सालाना 2 लाख रुपये तक की टैक्स छूट है। इसके साथ ही मूल धन चुकाने पर भी आप टैक्‍स छूट प्राप्‍त कर सकते हैं। तो किराया देने से बेहतर है कि खुद का घर खरीदें और ईएमआई चुकाने पर टैक्स बचाएं।
टैक्‍स छूट के साथ अधिक लोन की पात्रता
अगर, पति-पत्‍नी दोनों वर्किंग हैं तो ज्‍वाइंट होम लोन लेकर न सिर्फ दोनों टैक्‍स छूट का लाभ ले सकते हैं बल्कि ज्‍यादा होम लोन लेने के लिए भी पात्र होते हैं। बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां ज्‍वाइंट होम लोन को ज्‍यादा सुरक्षित मानती है। इसमें लोन लेने की पात्रता बढ़ जाती है।
एचआरए के साथ भी ले सकते हैं होम लोन का लाभ
आप एचआरए छूट के साथ होम लोन के ब्याज के भुगतान पर कर छूट का दावा कर सकते हैं। हालांकि, कई संस्थान कर्मचारियों को दोनों लाभ लेने की इजाजत नहीं देते हैं। लेकिन कानून में इसे साफ तौर पर मना नहीं किया गया है। इससे साफ है कि आपको इसकी इजाजत है। एचआरए और होम लोन पर ब्याज, दो अलग-अलग प्रावधान हैं और एक पर छूट का दावा करने से दूसरे पर असर नहीं पड़ता है।
 
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