बैंकों के मुकाबले पोस्ट ऑफिस की स्मॉल सेविंग स्कीम में हो रही है ज्यादा कमाई जानिए कैसे?

पोस्ट ऑफिस की स्कीम में बैंकों मुकाबले मिल रहा है ज्यादा ब्याज, ज्यादा कमाई का मौका
दिसंबर तिमाही के लिए वित्त मंत्रालय ने नहीं किया छोटी योजनाओं के लिए ब्याज दरों में बदलाव

<p>More money earned in post office small saving scheme compared to banks</p>

नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय की स्मॉल सेविंग स्कीम ब्याज दरों को दिसंबर तक तिमाही के लिए अपरिवर्तित रखने के कदम के कारण बैंकों ने जमा दरों में कमी की है। इससे न केवल छोटी बचत योजनाएं और अधिक आकर्षक बन गई हैं, बल्कि सरकार को इस मार्ग के माध्यम से अधिक धन जुटाने की भी अनुमति मिल गई है। अब लोग अधिक ब्याज के लिए पोस्ट ऑफिस की योजनाओं में निवेश करना ज्यादा पंसद करेंगे। जिससे उन्हें ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने का मौका मिल सके।

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बढ़ गई है बैंक जमा और पोस्ट ऑफिस के बीच की खाई
भारतीय स्टेट बैंक के साथ एक साल की सावधि जमा (एफडी) पर अब 4.9 फीसदी का ब्याज दर मिलता है। जबकि एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक में क्रमश: 5.1 फीसदी और 5 फीसदी ब्याज मिल रहा है। इसकी तुलना में, डाकघर के साथ एक साल की जमा राशि, जो कि छोटी बचत योजनाओं का हिस्सा मानी जाती है, की ब्याज दर 5.5 फीसदी है। वहीं पांच साल के बकेट में बैंक एफडी और पोस्ट ऑफिस की एफडी के बीच बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है। एसबीआई 5.4 फीसदी, एचडीएफसी बैंक 5.5 फीसदी और आईसीआईसीआई बैंक 5.5 फीसदी की ब्याज दे रहा है। वहीं दूसरी ओर पोस्ट ऑफिस के पांच साल के डिपॉजिट पर 6.7 फीसदी और पांच साल के नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट पर 6.8 फीसदी का ब्याज मिल रहा है।

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ऐसे पा सकते हैं ज्यादा रिटर्न
जानकारों की मानें तो बैंक की जमा दरों और छोटी बचत योजनाओं द्वारा दी जाने वाली ब्याज दरों के बीच चौड़ी खाई से योजनाओं के अधिक प्रभावित होने की आशंका है। यदि आपके बैंक एफडी मैच्योरिटी के करीब हैं, तो आप पोस्ट ऑफिस में नए एफडी बनाकर उच्च रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। सरकार द्वारा पोस्ट ऑफिस की एफडी की गारंटी दी जाती है। हालांकि, आपको पोस्ट ऑफिस खातों के लिए नेट बैंकिंग और बिल भुगतान सेवाओं जैसी सुविधा नहीं मिल सकती है।

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नहीं किया है कोई बदलाव
वास्तव में अक्टूबर से दिसंबर तक की बीच तिमाही के लिए वित्त मंत्रालय की ओर से छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। जिसकी वजह से बैंकों पर अपनी ब्याज दरों को कम करने का दबाव बढ़ गया। कुछ बैंकों की ओर से हाल ही में अपनी एमसीएलआर और ब्याज दरों में कटौती भी है। ऐसे में उदाहरण के लिहाज से देखें तो बैंक एफडी और पोस्ट ऑफिस की सावधि जमा की ब्याज दरों में काफी अंतर हो गया है।

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