मुद्रा योजना से मिले आंकड़ों के मुताबिक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और उसके सहयोगी शाखाओं के लाभार्थियों की संख्या 860165 है वहीं निजी क्षेत्र के व्यवसायिक बैंक के लाभार्थियों की संख्या 8420195 है। जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक 1934990 है और माइमक्रोफाइनेंस कंपनियों के लाभार्थियों की संख्या 20182496 है। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के जरिए भी 926498 लाभार्थी योजना का लाभ ले रहे हैं।
छोटे समूहों को जोड़ रही कंपनियां
सरकार द्वारा नोडल एजेंसी बनाए जाने के बाद माइक्रोफाइनेंस कंपनियों ने ग्रामीण और शहरी इलाकों के छोटे समूहों को जोडऩे का काम किया जिससे लाभार्थियों की संख्या में इजाफा हुआ। सर्वोदय नैनो माइमक्रोफाइनेंस, एमएसएम माइक्रोफाइनेंस, फ्यूजन माइक्रोफाइनेंस, आशीर्वाद माइक्रोफाइनेंस, शिखर माइक्रोफाइनेंस सहित दर्जन भर ऐसी कंपनियां हैं जो ग्रामीण इलाकों में योजना को साकार कर रही हैं। फ्यूजन माइक्रोफाइनेंस के सीईओ देवेश सचदेव कहते हैं कि जो नए इंडिया की कल्पना की जा रही है वह ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलने से ही होगा। सचदेव के मुताबिक सशक्तिकरण की दिशा में माइमक्रोफाइनेंस कंपनियों की अग्रणी भूमिका है।
सरकार द्वारा नोडल एजेंसी बनाए जाने के बाद माइक्रोफाइनेंस कंपनियों ने ग्रामीण और शहरी इलाकों के छोटे समूहों को जोडऩे का काम किया जिससे लाभार्थियों की संख्या में इजाफा हुआ। सर्वोदय नैनो माइमक्रोफाइनेंस, एमएसएम माइक्रोफाइनेंस, फ्यूजन माइक्रोफाइनेंस, आशीर्वाद माइक्रोफाइनेंस, शिखर माइक्रोफाइनेंस सहित दर्जन भर ऐसी कंपनियां हैं जो ग्रामीण इलाकों में योजना को साकार कर रही हैं। फ्यूजन माइक्रोफाइनेंस के सीईओ देवेश सचदेव कहते हैं कि जो नए इंडिया की कल्पना की जा रही है वह ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलने से ही होगा। सचदेव के मुताबिक सशक्तिकरण की दिशा में माइमक्रोफाइनेंस कंपनियों की अग्रणी भूमिका है।
राज्यों की यह है स्थिति मध्य प्रदेश में जहां साल 2015-16 में 2511191 लाभार्थी थे वहीं साल 2016-17 में यह संख्या बढ़कर 2683062 हो गई। इसी तरह से राजस्थान में साल 2015-16 में यह संख्या 1159819 थी वहीं साल 2016-17 में 1204837 हो गई। छत्तीसगढ़ में साल 2015-16 में यह संख्या 639711 थी वहीं 2016517 में संख्या बढ़कर 884941 हो गई। आंकड़ों के मुताबिक सभी राज्यों में लाभार्थियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। आपको बता दें कि सरकारी और निजी बैंकों की तुलना में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की पहुंच गांव-गांव तक हो चुकी है।