डिफाल्टर्स पर सरकार मेहरबान, लोन चुकाने के लिए मिल सकती है राहत

लोन चुकाने में एक दिन की भी देरी होने पर उसे नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स के दर्जे में डाल देने के नियम को थोड़ा हल्‍का करने का विचार किया जा सकता है।

<p>Loan Defaulters </p>
नई दिल्‍ली। समय पर लोन ना चुकाने वालों को केंद्र सरकार की ओर से राहत मिलती हुई दिखाई दे रही है। अब आरबीआई सरकार के कहने पर उस नियम में बदलाव कर रही है जिससे व्‍यापारियों की सांसें अटकी हुई थी। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने छोटे और मझोले एंटरप्राइजेज के लोन को राहत दी है। मंत्रालय का तर्क है कि नियमों के सख्‍त होने से डिफॉल्टर्स के दिवालिया होने की रफ्तार बढ़ जाएगी और इससे रोजगार के मौके कम हो जाएंगे।

डिफॉल्‍टर्स को मिली राहत
जानकारी के अनुसार लोन चुकाने में एक दिन की भी देरी होने पर उसे नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स के दर्जे में डाल देने के नियम को थोड़ा हल्‍का करने का विचार किया जा सकता है। जिसमें समय सीमा 30 दिन की बढ़ाई जा सकती है। वहीं रिजॉल्यूशन प्लान पर सभी लेंडर्स की मुहर जरूरी बनाने वाले नियम को नरम कर 75 फीसदी लेंडर्स की ही सहमति की जरूरत रखी जा सकती है। इससे यह होगा कि 30 दिनों से ज्यादा समय तक अदायगी न होने पर ही लोन डिफॉल्ट माना जाएगा। आरबीआई अधिकारियों के नियमों पर दोबारा विचार कर रहा है। बैंकों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। नियमों के मूल मकसद में कोई बदलाव नहीं होगा।

महीने के अंत में हो सकता है फैसला
आरबीआई ने पिछले सप्ताह एनपीए के विभिन्न पहलुओं पर राज्यसभा की एक कमेटी के सामने अपने बनाए नियमों का बचाव किया था। आरबीआई की दलील यह है कि इनसॉल्वेंसी लॉ ठीक तरह से काम कर रहा है और किसी दूसरे मैकेनिज्म की जरूरत नहीं है। अधिकारियों की मानें तो सरकार का रुख है कि इन नियमों से लोगों की नौकरियों पर नकारात्‍मक असर नहीं होना चाहिए। उम्मीद की जा रही है कि इस महीने के अंत में आरबीआई अपने नियमों को थोड़ा हल्‍का कर सकता है। अब देखने वाली बात होगी कि इन नियमों के बदलाव से बैंकों और डिफॉल्‍टर्स को फायदा होता है या नहीं।
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