अपमानजनक कैसे हो सकता है ‘दलित’: रामदास अठावले

रामदास अठावले ने कहा कि हमारा दलित पैंथर आंदोलन था, जिसने इस शब्द को गर्व के निशान के रूप में प्रयोग करना शुरू किया…

(पत्रिका ब्यूरो,मुंबई): केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री रामदास अठावले ने बुधवार को दलित शब्द को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने को लेकर एक एडवाइजरी जारी की। दलित की जगह संवैधानिक शब्द अनुसूचित जाति के प्रयोग को लेकर नाराज अठावले ने कहा कि लग रहा है कि केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र की नागपुर कोर्ट के फैसले पर ऐसा बयान जारी किया है। सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि यह फैसला बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ के उस फैसले के बाद आया, जिसमें पंकज मेशराम की याचिका में सरकारी दस्तावेज और पत्रों से दलित शब्द हटाने की मांग की गई थी।

 

 

उन्होंने कहा कि हमारा दलित पैंथर आंदोलन था, जिसने इस शब्द को गर्व के निशान के रूप में प्रयोग करना शुरू किया। दलित शब्द अपमानजनक कैसे हो सकता है, जबकि ये उन सभी पिछड़े, सामाजिक व आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले लोगों के संदर्भ में किया जाता था। गौरतलब है कि बंबई हाईकोर्ट के फैसले के बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने मीडिया के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि मीडिया दलित शब्द की जगह अनुसूचित जाति/जनजाति शब्द का प्रयोग करे।

 

एससी-एसटी एक्ट के विरोध में सवर्णों का भारत बंद

इधर सुप्रीम कोर्ट की ओर से एससी-एसटी एक्ट में सजा के प्रावधान में बदलाव करने के आदेश का विरोध करते हुए उसके समर्थन में उतरने के कारण सवर्ण तबका मोदी सरकार से नारज हो गया है। सवर्णों की नाराजगी को बीजेपी के लिए नुकसानदायक बताया जा रहा है। सवर्णों की ओर से गुरूवार को भारत बंद का आह्वान किया गया। सोशल साइटस के माध्यम से इस आंदोलन की कमान संभाली गई। देश के लगभग सभी राज्यों में इस आंदोलन की लपटे फैली और व्यापक असर दिखाई दिया।

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