बीते कुछ दिनों में महाराष्ट्र के दूसरे वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस की भावनाओं को आहत करने का काम किया है। बीड़ जिले में आयोजित संविधान बचाओ संघर्ष समिति की सभा में आव्हाड ने पूर्व प्रधानमन्त्री पर गंभीर कटाक्ष किये। आव्हाड ने कहा कि आपातकाल के समय उनके खिलाफ किसी ने खुलकर नहीं बोला था। अहमदाबाद से पटना तक जोरदार विरोध हुआ था। उसी का प्रभाव था कि चुनाव में वह पूरी तरीके से हार गईं।
जनता ने उन्हें अपनी ताकत का अहसास कराया। सीएए और एनआरसी के विरोध में हुआ मोर्चा। सीएए और एनआरसी के खिलाफ आयोजित सभा में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना कहा कि हिटलर शाही लोग छात्रों से भी डरने लगे हैं। यही वजह है कि जेएनयू में छात्रों पर हमले कराये गए। मौजूदा समय में कोई भी व्यक्ति देश के संविधान से बड़ा नहीं है। वह हिंदू हो या मुस्लिम संविधान के दायरे में आता है। भाजपा लोगों को भ्रमित कर रही है। एक हाथ में त्रिशूल है तो दूसरे हाथ में संविधान है। यह एक कूट निति का हिस्सा ही तो है।