अधिकारियों को परेशान कर रही सीबीआइ, समन खारिज करने का अनुरोध

ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार: बांबे हाइकोर्ट पहुंची महाराष्ट्र सरकार
 

<p>अफीम फैक्ट्री के तत्कालीन महाप्रबंधक की हाईकोर्ट से जमानत मंजूर</p>

मुंबई. पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही सीबीआई के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने बांबे हाइकोर्ट में याचिका लगाई है। इसमें शिकायत की गई है कि जांच के नाम पर सीबीआई राज्य के शीर्ष अधिकारियों को परेशान कर रही है। सीबीआइ की ओर से जारी समन खारिज करने का अनुरोध उद्धव सरकार ने किया है। बता दें कि मुख्य सचिव सीताराम कुंटे और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) संजय पांडेय को सीबीआइ तीन बार समन जारी कर पूछताछ के लिए तलब कर चुकी है। दोनों ही अफसर अब तक पेशी से बचते रहे हैं। राहत की आस में सरकार फौरी सुनवाई चाहती थी। जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस सारंग कोतवाल की बेंच ने कहा कि कोई जल्दी नहीं है। इस पर 20 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
हाइकोर्ट के आदेश पर जांच
हाइकोर्ट के आदेश पर सीबीआइ देशमुख पर लगे आरोपों की जांच कर रही है। भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धाराओं के तहत देशमुख के खिलाफ 21 अप्रेल को मामला दर्ज किया गया है। सीबीआइ जांच को हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, मगर कोई राहत नहीं मिली। ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार से जुड़ी गोपनीय रिपोर्ट भी पुलिस प्रशासन नहीं दे रहा था। हाइकोर्ट की फटकार के बाद वह रिपोर्ट केंद्रीय एजेंसी को सौंपी गई।
क्या है मामला
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने देशमुख पर पुलिस के जरिए वसूली का आरोप लगाया है। सिंह ने यह आरोप भी लगाया है कि पुलिस विभाग के तबादलों को देशमुख प्रभावित करते थे। ट्रांसफर-पोस्टिंग की गोपनीय रिपोर्ट पूर्व इंटेलीजेंस आयुक्त रश्मि शुक्ला ने तैयार की थी। तत्कालीन डीजीपी सुबोध जायसवाल ने यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को और सीएमओ ने गृह विभाग को भेजी थी। कार्रवाई के बजाय यह रिपोर्ट दबा दी गई।
गोपनीय रिपोर्ट लीक मामले की जांच महाराष्ट्र पुलिस की साइबर सेल कर रही है, जिसने फिलहाल सीबीआइ के निदेशक जायसवाल को पूछताछ के लिए समन जारी किया है।

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