ऐसे में पूरे देश में भगवान गणेश के कई मंदिर मौजूद हैं। इन मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठित गणपति अपने भक्तों के विघ्न हरकर सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के पास स्थित सीहोर जिले में भी एक ऐसे ही गणेश जी ‘चिंतामन सिद्ध गणेश’ का मंदिर है, जिसके संबंध में कहा जाता है कि यहां गणेश की स्वंयभू प्रतिमा हैं। यहां साल भर लाखों श्रृद्धालु भगवान गणेश के दर्शन करने आते हैं। अपनी मन्नत के लिए उल्टा सातिया बनाकर जाते हैं।
वहीं राजस्थान के उदयपुर में मौजूद चार गणेश मंदिर ऐसे हैं जहां पर भक्त अपने मन की मुरादें लेकर आते हैं और भगवान गणेश अपने भक्तों को निराश नहीं करते। सच्चे मन से भक्तों द्वारा की गई प्रार्थना खाली नहीं जाती। आज हम आपको इन चारों मंदिरों के इतिहास के बारे में जानकारी देंगें।
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उज्जैन का चिंतामण गणेश मंदिर : उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से करीब 6 किलोमीटर दूर ग्राम जवास्या में भगवान गणेश का प्राचीनतम मंदिर स्थित है। इसे चिंतामण गणेश के नाम से जाना जाता है।बोहरा गणेश मंदिर राजस्थान के शहर उदयपुर के गणेश मंदिरों में से एक है। यह मंदिर लगभग 350 साल से अधिक प्राचीन है। यह प्राचीन मंदिर पहले ‘बोर गणेश जी’ के नाम से प्रसिद्ध था। इस मंदिर में स्थापित भगवान गणेश की मूर्ति नृत्य करने की मुद्रा में है। ‘बोर गणेश’ से इस मंदिर का नाम बाद में ‘बोहरा गणेश’ पड़ गया। इसके साथ भी एक प्रसंग जुड़ा है।
: पोहरी शिवपुरी का गणेश मंदिर
शिवपुरी जिले की पोहरी तहसील के किले में वासा प्राचीन गणेश मंदिर जो लगभग 200 वर्ष प्राचीन है पोहरी दुर्ग सिंधिया स्टेट के अंतर्गत आता था जो उस समय के जागीरदारनी बाला बाई सीतोले हुआ करती थीं। उन्होंने 1737 में इस मंदिर का निर्माण कराया था।
गणेश मंदिर जी को पहले से ही इच्छा पूर्ति मंदिर माना जाता था इस मंदिर में जो भी भक्त लोग नारियल रखकर जो मनोकामना मांगते है वो पूरी हो जाती है इसलिए ग्रामीण क्षेत्र में बसा होने के बाद भी यहां भक्तों का तांता लगा रहता है इस कारण देश के तो भक्त आते ही है विदेश से भी भक्तों का यहां आना लगा रहता है।
मान्यता: नारियल रखने से लड़कियों की हो जाती है जल्दी शादी:
पोहरी इच्छा पूर्ति गणेश मंदिर जी में स्थानीय लोगो की मान्यता अधिक है और बाहर से भी लोग यहां दर्शन करने एवं मनोकामना मांगने आते हैं पोहरी गणेश मंदिर की विशेषता है कि यहां कुंवारी लड़की शादी के लिए नारियल रख देती है तो उनकी शादी जल्दी हो जाती है।
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: पाला गणेश मंदिर
पाला गणेश उदयपुर के गुलाब बाग क्षेत्र में स्थित है। पाला गणेश मंदिर उदयपुर के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस प्राचीन मंदिर का निर्माण आज से पांच सौ साल पहले हुआ माना जाता है। इस मंदिर के इतिहास के साथ एक कथा जुड़ी है। कथा के अनुसार बंजारा जाति से संबंधित एक लाखा बंजारा नामक व्यक्ति आज से तकरीबन 500 सौ साल पहले इस स्थान से जा रहा था। थकावट के चलते वह इस स्थान पर कुछ समय के लिए विश्राम करने के लिए रुका था।
विश्राम के दौरान ही लाखा बंजारा ने वहां पड़े गोबर से भगवान गणेश की मूर्ति का निर्माण किया। रात के समय नजदीक से बहने वाली नदी में अचानक पानी का स्तर बढ़ गया। उस समय सभी सोए हुए थे। नदी के पानी में सभी जानवर भी बह गए और साथ ही लाखा बंजारा द्वारा बनाई भगवान गणेश की मूर्ति भी बह गई।
इसके बाद इस घटना से दुखी होकर लाखा ने महाराणा से मदद की गुहार लगाते हुए मंदिर बनवाने की अरज की। इसी के चलते यह मंदिर पाला गणेश के नाम से प्रसिद्ध हुआ। पाला गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
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: इंदौर के खजराना गणेश मंदिर
मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित खजराना गणेश मंदिर के चमत्कार भक्तों में काफी लोकप्रिय हैं। यह देश का एक विश्व प्रसिद्ध गणेश मंदिर है। खजराना गणेश से जुड़़ी मान्यता है कि यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।
यहां मन्नत पूरी होने पर भक्त भगवान गणेश की प्रतिमा की पीठ पर उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं और भगवान गणेशजी को मोदक का भोग लगाया जाता है।
खजराना गणेश मंदिर के भगवान गणेश ने मंदिर निर्माण के लिए स्थानीय पंडित मंगल भट्ट को स्वप्न दिया था। इस सपने के बारे में उन्होंने सभी को बताया था, जिसके बाद रानी अहिल्या बाई होलकर ने इस स्वप्न के बारे में सुना तो उन्होंने बेहद गंभीरता से लिया और स्वप्न के अनुसार उस जगह खुदाई करवाई गई तो ठीक वैसी ही भगवान गणेश की प्रतिमा प्राप्त हुई। जिसके बाद यहां मंदिर निर्माण करवाया गया। आज भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होने से इस मंदिर को विश्व स्तर की ख्याति प्राप्त हो चुकी है।
: जाड़ा गणेश मंदिर
जाड़ा गणेश मंदिर भी उदयपुर का प्राचीन मंदिर है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक पंडित परिवार ने आज से लगभग 250 साल पहले करवाया था। इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं में इस मंदिर के प्रति अपार श्रद्धा व विश्वास है। भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में स्थापित मूर्ति में भगवान गणेश स्वयं निवास करते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित भगवान गणेश की मूर्ति का निर्माण सज्जनगढ़ किले के पत्थर से किया गया था।
भगवान गणेश के भक्तों व मंदिर के आसपास रहने वाले लोगों का विश्वास है कि इस मंदिर के आसपास का क्षेत्र बेहद पावन व पवित्र है। इस क्षेत्र में कोई भी बुरी शक्ति प्रवेश नहीं कर सकती। वैसे तो जाड़ा गणेश मंदिर में पूरा साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं लेकिन गणेश चतुर्थी के अवसर सुबह चार बजे से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाता है।
: श्री सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई
गणपति के प्रसिद्ध मंदिरों में इस मंदिर का नाम सबसे पहले आता है। यह मंदिर मुंबई में स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर को एक निसंतान महिला ने बनवाया था। इस मंदिर में माथा टेकने बड़े-बड़े बॉलीवुड सेलिब्रिटी आते हैं।
अष्टविनायक : महाराष्ट्र के 8 स्थानों में गणपति स्वयं विराजमान हैं। गणेश की स्वयंभू (अपने आप प्रकट हुई) प्रतिमा के कारण इन्हें अष्टविनायक कहा जाता है।
पश्चिम महाराष्ट्र और कोंकण में बसे इन आठ तीर्थस्थानों का इतिहास पुराणों में भी वर्णित है। इन सभी तीर्थस्थानों को पेशवाओं के जमाने में पहचान मिली।
यह कहा जाता है कि गणपति के इस अष्ट स्वरुप के दर्शन मात्र से कई जन्मों का पुण्य मिलता है। धार्मिक महत्व के अनुसार यात्रा करने पर पुणे से करीब एक हजार किलोमीटर का सफर करना पड़ता है।
अष्टविनायक के आठ मंदिर…
: श्री मयूरेश्वर या मोरेश्वर मंदिर : सिद्धिविनायक मंदिर : श्री बल्लालेश्वर मंदिर : श्री वरदविनायक : चिंतामणि गणपति : श्री गिरजात्मज : विघ्नेश्वर गणपति : महागणपति मंदिर ।
: दुधिया गणेश मंदिर
उदयपुर में ही स्थित है दुधिया गणेश जी मंदिर। इस मंदिर में स्थापित मूर्ति सज्जनगढ़ की नींव रखने से पहले ही स्थापित कर दी गई थी। इस प्राचीन मंदिर का निर्माण महाराणा सज्जन सिंह द्वारा करवाया गया था। महाराणा सज्जन सिंह के समय में भी इस मंदिर में गणेश चतुर्थी का त्योहार श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया जाता था।
इस अवसर पर महाराणा परिवार सहित भगवान गणेश के दर्शन करने आता था। पूरे शहर में जशन का माहौल होता था और पूरे शहर में हजारों दीपक जलाए जाते थे व मिठाई बांटी जाती थी। आज भी इस मंदिर में हजारों की संख्या में भगवान गणेश के भक्त भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं।