रेटिंग : ***रोहित तिवारी/ मुंबई ब्यूरो। बॉलीवुड ने हमेशा से ही समाज को एक आईना दिखाने का काम किया है। फिर वे चाहें बी-टाउन की बायोपिक फिल्में हो या सच्ची घटनाओं पर आधारित। अब इसी कड़ी में इंडस्ट्री की निर्देशिका मेघना गुलजार की फिल्म “तलवार” भी शामिल हो गई है। मेघना ने फिल्म में अपने निर्देशन से सन 2008 के बहुचर्चित नोएडा के आरुषि मर्डर केस की हकीकत को उकेरने का दमदार कोशिश की है। कहानी फिल्म की कहानी नोएडा के सेक्टर 20 से शुरू होती है। यहां के एक फ्लैट में तीसरे माले पर रमेश टंडन (नीरज कबी) और नूतन टंडन (कोंकणा सेन शर्मा) और उसकी बेटी श्रुति टंडन (आएशा परवीर) रहते हैं। अब सुबह के समय जब नौकरानी कामकाज करने के लिए रमेश टंडन के घर जाती है तो उसे घर बाहर से बंद मिलता है। इस पर नूतन उसे ऊपर से ही घर की चाभी फेंकती है। फिर जैसे वह नौकरानी घर के अंदर पहुंचती है तो देखती है कि रमेश और नूतन दोनों अपनी बेटी के मर्डर होने पर कमरे में रो रहे हैं। यह देख वह वहां से भाग निकलती है। अब श्रुति की मौत से पर्दाफाश करने के लिए पुलिस वाले तहकीकात करते हैं, लेकिन गृह मंत्रालय के प्रेशर के चलते यह केस सीबीआई को दे दिया जाता है। फिर अश्विन कुमार (इरफान खान) के हाथ यह केस आता है। अब धीरे-धीरे अश्विन उस केस की तह तक जाने की कोशिश करता है कि तभी उनके बॉस बोलते हैं कि अब उनके रिटायरमेंट के सिर्फ 32 दिन ही बचे हैं। इसलिए अब अश्विन को अपनी कार्रवाई में तेजी लाने की जरूरत है। फिर यह केस अश्विन कुमार के हाथों से छीन लिया जाता है और अब फिर उस केस को नए सिरे से हैंडल करने के लिए पॉल (अतुल कुमार) आते हैं। इसी तरह से गजब ट्विस्ट के साथ कहानी आगे बढ़ती है। अभिनय इरफान खान ने हमेशा की तरह इस बार भी अपने किरदार की तह तक जाने की भरपूर कोशिश की है। साथ ही कोंकणा सेन शर्मा ने भी अपने अभिनय को ऑडियंस के सामने गजब तरीके से परोसा है। नीरज कबी, सोहम शर्मा समेत आएशा परवीन और गजराज राव ने भी अपनी-अपनी भूमिकाओं में कुछ अलग करने का गजब प्रयास किया। इसके अलावा अतुल कुमार भी कहीं-कहीं पर अपने रोल में सटीक दिखाई दिए और तब्बू अपने केमियो रोल में ही बाजी मारती नजर आईं। निर्देशन वाकई में आज की ऑडियंस को सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्में काफी रास आने लगी हैं। इसी वजह से बी-टाउन की निर्देशिका मेघना गुलजार अपने चाहने वालों के बीच एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म लेकर आई हैं। उन्होंने यह तो सिद्ध कर दिखाया है कि इंडस्ट्री में अब कुछ अलग करने की जरूरत है। हालांकि उनके निर्देशन में भले ही कहीं-कहीं पर कमजोर सी नजर आई, लेकिन उन्होंने देश के उस बहुचर्चित आरुषि हत्याकांड को दर्शकों के सामने काफी अच्छे से परोसने का बीड़ा भी उठाया है। हालांकि उन्होंने फिल्म में ड्रामे का जबरदस्त तड़का लगाने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी, फिर भी मेघना अपने निर्देशन में कहीं-कहीं असफल सी दिखाई दीं। मर्डर मिस्ट्री और रहस्य में मेघना कोशिश की है, इसीलिए वे कुछ हद तक ऑडियंस की वाहवाही लूटने में सफल भी रहीं। बहरहाल, कुछ एक डायलॉग्स कालिब-ए-तारीफ रहे, लेकिन अगर टेक्नोलॉजी अंदाज को छोड़ दिया जाए तो इस फिल्म की सिनेमेटोग्राफी कुछ खास करने में असफल रही। इसके अलावा फिल्म से ऑडियंस को जोड़े रखने के लिए संगीत (विशाल भारद्वाज) ने कुछ हद तक अहम भूमिका निभाई है। क्यों देखें देश के बहुचर्चित आरुषि हत्याकांड के पीछे की हकीकत जानने के लिए आप थिएटर की ओर रुख कर सकते हैं, लेकिन फुल एंटरटेन के लिहाज से नहीं। आगे मर्जी आपकी…! बैनर : जंगली पिक्चर्स और विशाल भारद्वाज पिक्चर्स निर्माता : विशाल भारद्वाज और विनीत जैन निर्देशक : मेघना गुलजार जोनर : मर्डर मिस्ट्री, रहस्य संगीत : विशाल भारद्वाज डायलॉग : उपेंद्र सिद्धे स्टारकास्ट : इरफान खान, कोंकणा सेन शर्मा, नीरज कबी, सोहम शर्मा, आएशा परवीन, गजराज राव और अतुल कुमार और तब्बू (कैमियो)।