हाइवे से निकलते हैं चंबल रेत से भरे सैकड़ों टै्रक्टर- ट्रॉली

– टास्क फोर्स की कार्रवाई बैठक कागजों तक सिमटी, पुलिस व प्रशासन के अधिकारी रेत माफिया के सामने सरेंडर, नहीं होती कार्रवाई

<p>हाइवे से निकलते हैं चंबल रेत से भरे सैकड़ों टै्रक्टर- ट्रॉली</p>

मुरैना. चंबल रेत के अवैध परिवहन को वन विभाग, पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने खुली छूट दे रखी है। रात दिन हाइवे से सैकड़ों टै्रक्टर ट्रॉली चंबल रेत भरकर आसानी से गुजरते रहते हैं लेकिन किसी की मजाल है कि उनके खिलाफ कार्रवाई करे। खासकर हाइवे पर गंगापुर हनुमान मंदिर से सिकरौदा नहर तक सुबह के समय सैकड़ों टै्रक्टर ट्रॉली चंबल रेत से भरे खड़े रहते हैं और फिर वहां से ऑर्डर मिलने पर आसानी से इधर उधर निकल जाते हैं।
जिला व संभाग स्तर पर माफिया के खिलाफ कार्रवाई के लिए टास्क फोर्स गठित है। संभाग में कमिश्नर और जिला टास्क फोर्स के अध्यक्ष स्वयं कलेक्टर हैं। इनके द्वारा टास्क फोर्स की बैठक तो की जाती है लेकिन कार्रवाई सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह जाती है। धरातल पर टास्क फोर्स की कार्रवाई न के बरावर है। बैठक में दिशा निर्देश जारी कर उसकी रिपोर्ट बनाकर राज्य सरकार को भेज दी जाती है लेकिन कार्रवाई नहीं की जाती। विडंवना है कि अधिकारी जब मुरैना में आते हैं तो बड़ी बड़ी डींग मारते हैं कि लेकिन जब काम करना शुरू करते हैं तो रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर पसीना छूट जाता है।
वन नाके पर नहीं होती चेकिंग, खुलेआम निकल रहे टै्रक्टर ट्रॉली……..
हाइवे पर वन विभाग का नाका स्थापित है। यहां एसएएफ का फोर्स भी तैनात है। लेकिन माफिया के डर से फोर्स अंदर कमरे में बैठता है, हाइवे पर नाके से रात दिन चंबल रेत से भरे सैकड़ों टै्रक्टर ट्रॉली आसानी से निकल रहे हैं। यहां कोई चेकिंग नहीं होती और न कार्रवाई की जा रही है। इसके चलते माफिया के हौंसले बुलंद हैं।
खुलेआम लग रही हैं शहर में रेत की मंडी……….
शहर में फ्लाइओवर के पास हाइवे, अंबाह बाइपास, बड़ोखर में खुलेआम रेत मंडी लग रही हैं। पुलिस अधीक्षक ने थाना प्रभारियों को सख्त निर्देश दिए थे कि शहर में रेत की मंडियां नहीं लगना चाहिए। निर्देश के बाद एक दो दिन संबंधित थाना पुलिस फोर्स ने उछल कूद की लेकिन उसके बाद फिर हाथ पर हाथ रखकर बैठ गए।
दो माह में पकड़े थे ८० वाहन, अब नहीं होती कार्रवाई ………
तत्कालीन एसडीओ वन व अधीक्षक देवरी घडिय़ाल केन्द्र श्रद्धा पंद्रे ने महिला होते हुए भी दो माह में करीब आधा सैकड़ा रेत वाहन सहित ८० वाहन पकड़े थे लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद लोगों को अभी तक यह नहीं पता कि वन विभाग में पंद्रे मैडम की जगह एसडीओ कौन आ गए हैं। अधिकारी की पहचान होती है फील्ड में कार्रवाई करने से। पंद्रे के जाने के बाद कार्रवाई पूरी तरह थम गई है। सच्चाई तो यह है कि विभाग के अधिकारी भी नहीं चाहते कि कार्रवाई हो, अन्यथा क्या मजाल है कि नाका लगा होने के बाद भी रेत से भरे टै्रक्टर ट्रॉली दिन दहाड़े आसानी से निकल रहे हैं और तैनात फोर्स छिपकर कमरे में बैठा रहता है।
कथन
– वन विभाग का गश्ती दल तो बरावर घूम रहा है। वन नाके पर भी फोर्स तैनात रहता है। अगर हाइवे पर रेत से भरे टै्रक्टर ट्रॉली खड़े हो रहे हैं तो हम कार्रवाई करवा लेते हैं।
प्रतीक दुबे, एसडीओ, वन विभाग
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