इस प्रक्रिया तक पंहुचने के लिए इसमें ऐसी स्टैंडर्ड टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है जो वेबसाइट्स को पासवर्ड बदलने का यूआरएल देने का काम करता है। इससे यूज़र्स के पासवर्ड बदलने की प्रक्रिया में काफी आसान हो जाती है। इस स्टैंडर्ड के उपयोग से क्रोम यूज़र्स को किसी भी तरह से होने वाली छेड़छाड़ से अलर्ट करेगा और इसके बाद यह तुरंत आपको उस वेबपेज पर ले जाएगा, जहां पर जाकर आप अपना पासवर्ड बदल सकते हैं।
गूगल ने Chrome 86 में कुछ ऐसे फीचर्स को भी अपडेट किया है जिसकी मदद से यूज़र सिक्योरिटी में सुधार कर सकते है। इसके अलावा ऐसे सुरक्षित ब्राउज़िग फीचर भी जारी किए है, जिसके जरिए क्रोम आपको सेफ ब्राउजिंग सर्विस के साथ रीयल-टाइम डेटा शेयरिंग के जरिए फिशिंग, मैलवेयर और अन्य खतरनाक साइटों से सुरक्षा प्रदान करेगा। इस नए फीचर्स को लाने से अब तक छेड़छाड़ करने वालों की संख्या में लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। यूजर्स के लिए यह नया फीचर्स काफी लाभदायक है। इस सुरक्षा के साथ क्रोम ने बायोमेक्ट्रिक ऑथेन्टिकेशन स्टेप को भी जोड़ा है। आप अपनी फेस आईडी, टच आईडी या फिर फोन पासकोड के जरिए ऑथेन्टिकेशन सेट कर सकते हैं। यदि आप सेटिंग्स में क्रोम ऑटोफिल को ऑन करते हैं, तो क्रोम पासवर्ड मैनेजर आपको आईओएस ऐप्स या ब्राउज़र में सेव पासवर्ड को ऑटोफिल करने की अनुमति दे देगा।
क्रोम 86 एंड्रॉयड के लिए ‘mixed form warnings’ भी लेकर आता है, जो यूज़र्स को HTTPS पेज पर एम्बेड हुए असुरक्षित फोर्म को सबमिट करने से पहले चेतावनी देगा। इस तरह के पेज यूज़र्स को असुरक्षित लिंक के जरिए डाउनलोड कंटेंट देते हैं या उन फोर्म का इस्तेमाल करते हैं, जो डेटा को असुरक्षित ढ़ंग से सबमिट करते हैं।