इसलिए होता है इस दिवस का आयोजन
19 अगस्त को विश्व मानवीय दिवस के अवसर पर अपनी जान पर खेल के दूसरों की मदद करने वालों के लिए रैली निकाली जाती है। इस रैली का मकसद उनके पूरे दुनिया में खस्ताहाल को उजागर कर उनकी दशा के बारे में दुनिया को बताना है।
इनके लिए उठाई जाती है आवाज
इस बार के विश्व मानवीय दिवस के अवसर पर भी उन नागरिकों के बारे में उजागर किया जाएगा, जो हर साल सशस्त्र लड़ाइयों में बेवजह प्रभावित होते हैं। आयोजनकर्ताओं का कहना है कि शहरों और कस्बों में लाखों-करोड़ों की तादाद में लोग भोजन, पानी और रहने के लिए एक सुरक्षित ठिकाना ढूंढने के लिए हर दिन संघर्ष करते हैं, जबकि लड़ाईयों के चलते लाखों लोगों को अपने घरों से निकलना पड़ता है।
राहतकर्मियों को सीधे बनाया जाता है निशाना
यही नहीं ऐसी लड़ाइयों में बच्चों और महिलाओं को भी नहीं बक्शा जाता। उनको भी भर्ती कर, उनका इस्तेमाल भी लड़ाई के में किया जाता है। इसके साथ ही उनके स्कूल तबाह कर दिए जाते हैं। महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और अपमानजनक व्यवहार किया जाता है। ऐसे क्योंकि मानवीय और चिकित्सा श्रमिक राहतकार्य के लिए आगे आते हैं,उन्हें सीधेतौर पर निशाना बनाया जाता है। लोगों को ऐसे युद्धों के बाद मेडिकल और अन्य तरह की सहायता देने वाले लोगों को खतरों के रूप में देखा जाता है, और उन्हें लोगों को राहत और देखभाल करने से रोका जाता है।
इस बार #NotATarget कैंपेन
इन्हीं के विरोध में इस बार विश्व मानवीय दिवस के अवसर पर #NotATarget कैंपेन चलाया जा रहा है। इसमें दुनिया भर में लड़ाइयों से प्रभावित सभी लोगों,जिनमें विकलांग लोगों, बुजुर्गों, प्रवासियों और पत्रकारों, संघर्ष में पकड़े गए सभी नागरिकों, के जीवन की सुरक्षा को संरक्षित करने की बात कही जा रही है। आयोजनकर्ताओं ने सभी से इस आंदोलन में शामिल होकर और दुनिया के नेताओं से सभी नागरिकों की रक्षा के लिए मांग करने की अपील की जा रही है।