लंदन। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार यूरोप और दुनिया के अन्य देश बिना वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) के कोरोना वायरस की रोकथाम कर सकते हैं। उन्हें स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगाने होंगे। WHO के यूरोप के निदेशक के अनुसार उन्हें लगता है राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन सफल नहीं रहे हैं। ऐसे में जहां संक्रमण का खतरा अधिक है, वहां पर इसकी काफी जरूरत है। इटली के वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना संक्रमित मरीज को वायरस की चपेट से निकलने में कम से कम एक माह लग सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन में यूरोप के क्षेत्रीय निदेशक हैन्स क्लूग का कहना है कि जब हम महामारी पर विजय हासिल करेंगे, तो जरूरी नहीं कि वह वैक्सीन से संभव हो सकेगा। ऐसा हम तभी कर सकेंगे। जब हम महामारी के साथ जीना सीख लेंगे। उनसे पूछा गया कि क्या आने वाले महीने में संक्रमण की दूसरी वेव आने पर बड़े पैमाने पर लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है तो उन्होंने कहा कि इसकी जरूरत नहीं पड़ने वाली हैै।
एक माह लगता है कोरोना वायरस के खात्मे में
इटली के वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना संक्रमित मरीज को वायरस को दूर करने में कम से कम एक महीना लगता है। ऐसे में पॉजिटिव आने के एक माह बाद ही दोबारा टेस्ट करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पांच निगेटिव टेस्ट रिजल्ट भी गलत माना जाता है। इटली के मोडेना एंड रेजियो एमिलिया यूनिवर्सिटी के डॉ.फ्रांसिस्को वेंतुरेली और उनके साथियों ने 1162 मरीजों पर अध्ययन किया है।
कोरोना मरीजों की दूसरी बार टेस्टिंग 15 दिन बाद, तीसरी बार 14 दिन बाद और चौथी बार नौ दिन बाद होती है। इससे पता चल सका कि जिसकी रिपोर्ट पहले निगेटिव आई वे फिर से पॉजिटिव हो सकते हैं। ऐसा दावा किया गया है कि करीब पांच लोगों के कोरोना टेस्ट में एक का परिणाम गलत माना जाता था। अध्ययन के अनुसार कोरोना से ठीक होने में 50 पर्ष तक के लोगों को 35 दिन और 80 वर्ष से ज्यादा की उम्र के लोगों को 38 दिन लगते हैं।