सबकुछ योजना के मुताबिक रहा तो अब से चार साल बाद 2025 में धरती की निचली कक्षा में दुनिया का पहला धरती के बाहर होटल बनकर तैयार होगा। देश में बनने जा रहा है पहला आइस टनल! रियल लाइफ के फुनसुक वांगड़ू ने बताई जगह और वजह
होटल में ये होगा खास
इस लग्जरी होटल में जोरदार सुविधाएं होंगी। इनमें रेस्तरां तो होंगे ही, इसके अलावा सिनेमा, स्पा और 400 लोगों के लिए कमरे भी होंगे। वोयेजर स्टेशन के होटेल में कई ऐसे फीचर होंगे जो क्रूज शिप की याद दिला देंगे। रिंग के बाहरी ओर कई पॉड अटैच किए जाएंगे और इनमें से कुछ पॉड NASA या ESA को स्पेस रिसर्च के लिए बेचे भी जा सकते हैं।
इस लग्जरी होटल में जोरदार सुविधाएं होंगी। इनमें रेस्तरां तो होंगे ही, इसके अलावा सिनेमा, स्पा और 400 लोगों के लिए कमरे भी होंगे। वोयेजर स्टेशन के होटेल में कई ऐसे फीचर होंगे जो क्रूज शिप की याद दिला देंगे। रिंग के बाहरी ओर कई पॉड अटैच किए जाएंगे और इनमें से कुछ पॉड NASA या ESA को स्पेस रिसर्च के लिए बेचे भी जा सकते हैं।
ऐसे तैयार होगा होटल
ऑर्बिटल असेंबली कॉर्पोरेशन (OAC) का वोयेजर स्टेशन 2027 तक तैयार हो सकता है। यह स्पेस स्टेशन एक बड़ा सा गोला होगा और आर्टिफिशल ग्रैविटी पैदा करने के लिए घूमता रहेगा। यह ग्रैविटी चांद के गुरुत्वाकर्षण के बराबर होगी।
ऑर्बिटल असेंबली कॉर्पोरेशन (OAC) का वोयेजर स्टेशन 2027 तक तैयार हो सकता है। यह स्पेस स्टेशन एक बड़ा सा गोला होगा और आर्टिफिशल ग्रैविटी पैदा करने के लिए घूमता रहेगा। यह ग्रैविटी चांद के गुरुत्वाकर्षण के बराबर होगी।
ऐसे आया होटल का विचार
कक्षा में चक्कर लगाते स्पेस स्टेशन का कॉन्सेप्ट 1950 के दशक में नासा के अपोलो प्रोग्राम से जुड़े वर्नर वॉन ब्रॉन का था। वोयेजर स्टेशन उससे कहीं ज्यादा बड़े स्तर का है। गेटवे फाउंडेशन के लॉन्च के साथ यह पहली बार 2012 में लोगों के सामने आया।
कक्षा में चक्कर लगाते स्पेस स्टेशन का कॉन्सेप्ट 1950 के दशक में नासा के अपोलो प्रोग्राम से जुड़े वर्नर वॉन ब्रॉन का था। वोयेजर स्टेशन उससे कहीं ज्यादा बड़े स्तर का है। गेटवे फाउंडेशन के लॉन्च के साथ यह पहली बार 2012 में लोगों के सामने आया।
पीएम मोदी के वैक्सीन लगवाने के बाद इस दिग्गज नेता ने दिया अजीब बयान, कह दी इतनी बड़ी बात 90 मिनट में पूरा होगा धरती का चक्कर
यह स्टेशन हर 90 मिनट पर धरती का चक्कर पूरा करेगा। पहले इसका एक प्रोटोटाइप स्टेशन टेस्ट किया जाएगा। इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन की तरह फ्री-फ्लाइंग माइक्रोग्रैविटी फसिलटी को टेस्ट किया जाना है।
यह स्टेशन हर 90 मिनट पर धरती का चक्कर पूरा करेगा। पहले इसका एक प्रोटोटाइप स्टेशन टेस्ट किया जाएगा। इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन की तरह फ्री-फ्लाइंग माइक्रोग्रैविटी फसिलटी को टेस्ट किया जाना है।
जिन लोगों को यहां लंबे वक्त के लिए रहना होगा, उनके लिए ग्रैविटी चाहिए होगी। इसलिए रोटेशन बेहद अहम है। आपको बता दें कि जब टेस्ट पूरा होगा तो STAR यानी स्ट्रक्चर ट्रूस असेंबली रोबॉट इसका फ्रेम तैयार करेगा।
इसे बनाने में दो साल का वक्त लग सकता है और स्पेस में तैयार करने में तीन दिन।
इसे बनाने में दो साल का वक्त लग सकता है और स्पेस में तैयार करने में तीन दिन।