पॉजिटिव मामलों की जानकारी WHO की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामिनाथन के अनुसार किसी समुदाय में कितने लोगों को इन्फेक्शन हुआ है, यह नहीं पता है। अभी तक यहीं हो रहा है कि कि जो लोग ज्यादा बीमार हैं, वे टेस्ट करा रहे हैं और उनमें से पॉजिटिव लोगों के बारे में पता चलता है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर संक्रमण का शिकार हुए लोगों का आंकड़ा ऐसे लोगों की तुलना में दस गुना होता है। इलाज के बाद ही ये मामले गिने जाते हैं। स्वामिनाथन के अनुसार संक्रमित की मृत्युदर कम है और औसतन 0.6 प्रतिशत है।
अमरीका में सबसे खराब हालात दुनियाभर में कोरोना से अब तक 11,205,004 मामले आ चुके हैं। वहीं 529,3805 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा मामले अमरीका में 2,890,588 मामले इन्फेक्शन के हैं। इनमें से 132,101 लोगों मौत हो चुकी है। यहां अभी भी हर रोज तेजी से मामले सामने आ रहे हैं और मौत का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है। वहीं, 11 लाख 91 हजार 838 लोग ठीक भी हो चुके हैं।
‘सबसे बुरा दौर आना बाकी’ इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस एडहनॉम गिब्रयेसॉस (Tedros Adhanom)का कहना था कि दुनियाभर की सरकारों ने सही नीतियों का पालन नहीं किया, इसके कारण ये वायरस तेजी से फैल सकता है। ऐसे में उन्होंने दुनिया भर के राजनेताओं से इस मामले राजनीति न करने की अपील की है। कुछ दिन पहले ही डब्लूएचओ चीफ ने दुनिया भर के नेताओं को राजनीति नहीं करने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा कि अगर दुनिया को कोरोना से लड़ना है तो लोगों को मिलकर सभी पाबंदियों का पालन करना होगा।
वैक्सीन की दौड़ में सबसे आगे ऑक्सफर्ड दुनिया के कई देश और कोरोना की वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। उनके रिसर्च इंस्टिट्यूट कोरोना वायरस की वैक्सीन की खोज में लगे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी जिस वैक्सीन पर शोध कर रही है।उसका कहना है कि यहां के मानक सबसे बेहतर हैे। वह कोरोना वायरस के इलाज रेस में सबसे आगे है। ऑक्सफर्ड और AstraZeneca Plc. की वैक्सीन ChAdOx1 nCov-19 क्लिनिकल ट्रायल के अंतिम पड़ाव में है। इस पहली वैक्सीन को अब 10,260 लोगों को दिया जाएगा। इसका ट्रायल ब्रिटेन, साउथ अफ्रीका और ब्राजील में भी हो रहा है।