सोशल मीडिया पर फेक न्यूज का प्रसार नया नहीं है। इसके जरिए लोगों में भ्रम फैलाने का सिलसिला बहुत पहले से चला आ रहा है। इसी क्रम में गलत जानकारियां देने और फेक न्यूज फैलाने के मामले में सोशल मीडिया के तीन दिग्गज फेसबुक, गूगल और ट्विटर के सीईओ को अमरीकी संसद में तलब किया गया है। इसके अलावा, आस्ट्रेलिया में फेसबुक की ओर से खबरों के प्रतिबंध लगाने के बाद वहां के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन भी खासे परेशान हैं। उन्होंने इस संबंध में भारत से मदद मांगी है।
गलत सूचनाएं देने के संबंध में ऑनलाइन ह्रश्वलेटफॉर्म के तीन दिग्गजों को अमरीकी संसद में तलब किया है। फेसबुक सीईओ मार्क जकरबर्ग, गूगल के सीईओ सुंदर पिचई व ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी से ऑनलाइन ह्रश्वलेटफॉर्म पर गलत सूचना के संबंध में 25 मार्च को सदन में पूछताछ की जाएगी। ऊर्जा और वाणिज्य समिति के अध्यक्ष फ्रैंक पैलोन जूनियर ने कहा कि चाहे वह कोविड-19 वै सीन के बारे में झूठ हो या चुनावी धोखाधड़ी के गलत दावे, इन ऑनलाइन ह्रश्वलेटफॉर्मों ने गलत सूचना फैलाने दी। इससे वास्तविक जीवन के साथ राष्ट्रीय संकट को बढ़ावा मिला।
फेसबुक द्वारा न्यूज और इमरजेंसी सेवाओं की पोस्ट पर प्रतिबंध लगाने के बाद ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने भारत के पीएम नरेंद्र मोदी से मदद मांगी है। मॉरिसन ने फेसबुक के कदम के खिलाफ दुनिया के नेताओं का समर्थन जुटाने की कोशिश में मोदी से फोन पर बातचीत की। मॉरिसन ने ऑस्ट्रेलिया में फेसबुक के रवैया का मसला पीएम मोदी के सामने उठाया। उनका कहना था कि फेसबुक को चुनी हुई सरकारों को इस तरह से धमकाने की कोशिश बंद करनी चाहिए।
ऑस्ट्रेलिया सरकार का कहना है कि फेसबुक को वहां के किसी कानून से दि कत थी तो इस पर उसके चीफ मार्क जकरबर्ग को बात करनी चाहिए थी, न कि अचानक लाखों यूजर्स के लिए जरूरी कंटेंट पर रोक लगाने की। ऑस्ट्रेलिया सरकार के एक कानून के विरोध में फेसबुक ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए वहां के न्यूज, हेल्थ व इमरजेंसी सेवाओं के पोस्ट पर रोक लगा दी।