म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट और काउंसलर आंग सांग सूकी समेत सत्तारूढ़ दल के तमाम प्रमुख नेताओं को हिरासत में लिए जाने से नाराज लोगों का विरोध-प्रदर्शन बढ़ता ही जा रहा है। बुधवार को भी शहरों बड़ी संख्या में लोग सडक़ों पर उतरे और देश में लोकतंत्र स्थापित करने और सूकी समेत तमाम नेताओं की रिहाई की मांग करने लगे।
दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र संघ समेत तमाम देशों ने म्यांमार के हालात पर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञ ने म्यांमार को आगाह करते हुए कहा है कि देश की राजधानी यांगून समेत अन्य
शहरों में सैनिकों की तैनाती से लोगों में गुस्सा और बढ़ सकता है, जिससे हिंसा की घटनाओं में तेजी आएगी। संयुक्त राष्ट्र के दूत टॉम एंड्यूज ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि यांगून में पहले से बड़ी संख्या में सैनिक तैनात हैं। इसके बाद भी और सैनिक भेजने की तैयारी है, जिससे स्थिति और चिंताजनक होती जा रही है।
शहरों में सैनिकों की तैनाती से लोगों में गुस्सा और बढ़ सकता है, जिससे हिंसा की घटनाओं में तेजी आएगी। संयुक्त राष्ट्र के दूत टॉम एंड्यूज ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि यांगून में पहले से बड़ी संख्या में सैनिक तैनात हैं। इसके बाद भी और सैनिक भेजने की तैयारी है, जिससे स्थिति और चिंताजनक होती जा रही है।
बता दें कि कुछ ही दिन पहले म्यांमार में सैन्य शासन की ओर से प्रदर्शनकारियों को चेतावनी देते हुए कहा गया था कि वे विरोध-प्रदर्शन नहीं करने। विरोध-प्रदर्शन करने वालों को 20 साल तक कैद की सजा हो सकती है। इसके बाद भी लागों का आक्रोश कम नहीं हो रहा है और सडक़ों पर प्रदर्शन करने वालों की संख्या हर रोज बढ़ती जा रही है।
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में बताया गया है कि पहले भी सैनिकों की शहर में तैनाती से बड़े स्तर पर हत्या, लोगों के गायब होने और हिरासत में लिए जाने के मामले सामने आए हैं। एंड्रयूज ने बताया कि लोगों के प्रदर्शन और सैनिकों की तैनाती से हालात बिगडऩे का अंदेशा है।
म्यांमार में गत 1 फरवरी को सेना ने तख्तापलट करते हुए आंग सांग सूकी और सत्तारूढ़ दल के तमाम नेताओं को हिरासत में ले लिया था। हिरासत की यह अवधि 15 फरवरी तक के लिए थी, लेकिन अदालत ने इसे आगे बढ़ा दिया था।