राष्ट्रपति एर्दोआन के बयान जबाव में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट किया। उन्होंने पलटवार कर कहा कि सभी को साइप्रस के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों का पालन करना चाहिए। गौरतलब है कि तुर्की ने साइप्रस के बड़े हिस्से पर कई दशकों से कब्जा जमाया हुआ है। इस मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव भी पारित करा है,मगर तुर्की इसे नहीं मानता है।
तुर्की राष्ट्रपति ने क्याें किया कश्मीर का जिक्र
5 अगस्त 2019 को कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा लिया गया था। इसके बाद से पाकिस्तान लगातार मुस्लिम देशों से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी। तब मलेशिया और तुर्की ने इस मामले में भारत की आलोचना की।
तुर्की राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर की स्थिति को ‘ज्वलंत मुद्दा’ बताया था और कश्मीर के लिए विशेष दर्जे को खत्म करने का जमकर विरोध किया। उन्हाेंने 2019 में कहा था कि स्वीकृत प्रस्तावों के बावजूद कश्मीर अभी भी घिरा हुआ है और 80 लाख लोग कश्मीर में फंस हुए हैं। उस वक्त पीएम मोदी ने तुर्की की एक निर्धारित यात्रा रद्द कर दी थी।
जयशंकर ने साइप्रस को लेकर किया ट्वीट
एस जयशंकर ने साइप्रस के अपने समकक्ष निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद ट्वीट किया। इस दौरान उन्होंने साइप्रस के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों का पालन करने की जरूरत पर बल दिया। जयशंकर ने क्रिस्टोडौलाइड्स के साथ अपनी मुलाकात के बारे में बुधवार को ट्वीट किया कि हम आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। सभी को साइप्रस के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों का पालन करना चाहिए।