Corona के खिलाफ लड़ाई में इन देशों की महिला नेतृत्व ने मनवाया लोहा, दुनिया के सामने पेश की मिसाल

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दुनिया की कई महिला नेताओं ( Woman Leaders In World ) ने कोरोना वायरस ( Coronavirus ) को फैलने से रोकने के लिए अपने-अपने देश में लॉकडाउन ( Lockdown ) के सख्ती से अनुपालन, स्वास्थ्य तंत्र के बेहतर इस्तेमाल, ज्यादा टेस्टिंग और बेहतर तैयारियों के जरिए ये बता दिया कि किसी भी मुसीबत से सूझबूझ के साथ लड़ा जा सकता है।

<p>These world women leaders showed leadership against fight of coronavirus </p>

नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी ( Coronavirus pandemic ) से पूरी दुनिया जूझ रही है और इसको फैलने से रोकने के लिए तमाम तरह के उपाय किए जा रहे हैं। साथ ही इस वायरस के खात्मे के लिए वैक्सीन ( Coronavirus Vaccine ) या कोई दवा बनाने की दिशा में लगातार शोधकार्य किए जा रहे हैं।

इन सबके बीच पूरी दुनिया में कोरोना के खिलाफ लड़ाई ( Fight against corona ) को लेकर बहस छिड़ी है। कई देशों ने अपनी कौशल क्षमता के साथ कोरोना को रोकने में सफलता पाई तो कई देशों में यह विस्फोटक हो गया और कई जगहों पर होने की संभावना है। ऐसे में कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में कुछ देशों की महिला नेतृत्व ने अपनी कौशल क्षमता का लोहा मनवाया है और पूरी दुनिया के सामने एक मिशाल पेश की है। यही कारण है इन महिला नेताओं की काफी तारीफ की जा रही है।

इन महिला नेताओं ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए अपने-अपने देश में लॉकडाउन के सख्ती से अनुपालन, स्वास्थ्य तंत्र के बेहतर इस्तेमाल, ज्यादा टेस्टिंग ( corona testing ) और बेहतर तैयारियों के जरिए ये बता दिया कि किसी भी मुसीबत से सूझबूझ के साथ लड़ा जा सकता है।

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इन महिलाओं की रणनीति का ही परिणाम है कि आज उन देशों में कोरोना से मरने वालों की संख्या और संक्रमितों का आंकड़ा बेहद कम है। इतना ही नहीं कई देशों में तो कोरोना के मामले भी कई दिनों से सामने नहीं आया है और वहां पर आम लोगों की जिन्दगी भी पहले की तरह सामान्य होने लगी है। जानकारों का कहना है कि टेस्टिंग और मृत्यु दर में अच्छे प्रदर्शन करने वाले शीर्ष 10 देशों में सात देश का नेतृत्व महिलाओं के हाथ में है। आइए जानते हैं इन देशों और महिला नेतृत्व के बारे में..

ताइवान, राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ( Taiwan President Tsai Ing-wen ) ने काफी समझदारी के साथ इसका सामना किया। चूंकि इससे पहले ताइवान 2003-04 में SARS वायरस फैला था। इससे सबक लेकर इस बार ताइवान ने पूरी तैयारी की और कोरोना को मात दिया। जब ताइवान को ये बता पता चल गया कि वुहान से कोरोना का संक्रमण फैल रहा है फौरन चीन से आने वाले लोगों की मेडिकल जांच शुरू कर दी। इतना ही नहीं ताइवान ने चीन से पहले WHO को सूचित किया, लेकिन इसपर ध्यान नहीं दिया गया।

राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन की सूझबूझ के कारण ही वहीं पर लॉकडाउन ( Lockdown ) लगाने की जरूरत नहीं पड़ी। ताइवान ने अपनी स्थिति को बेहतर करते हुए आज दूसरे देशों को मदद पहुंचा रहा है। ताइवान अमरीका और यूरोप को मास्क मुहैया करा रहा है।

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न्यूजीलैंड, प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न

न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ( New Zealand Prime Minister Jacinda Ardern ) की नेतृत्व क्षमता को लेकर भी काफी तारीफ की जा रही है। अर्डर्न ने अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय देते हुए ऐसे सख्त और निर्णायक फैसले लिए, जिसका परिणाम यह है कि आ न्यूजीलैंड में बीते 14 दिनों से कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है और देश में लॉकडाउन को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। जब देश में 102 केस हो गए तो 23 मार्च को अर्डर्न ने 28 दिन का लॉकडाउन लगाने की घोषणा की। इतना ही नहीं अपनी सभी सीमाएं सील कर दी और बाहर से आ रहे अपने नागरिकों को 14 दिन क्वारंटीन में रहने को आदेश दिया। विदेशों का आने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी। अब नतीजतन न्यूजीलैंड में हालात सामान्य हो गया है और लोगों की दैनिक जीवनचर्या पहले की तरह की चलने लगी है।

नॉर्वे, प्रधानमंत्री एर्ना सोलबर्ग

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में नॉर्वे की प्रधानमंत्री एर्ना सोलबर्ग ( Norway, Prime Minister Erna Solberg ) ने भी ऐसे फैसले लिए जिसके कारण आज इनकी पूरी तारीफ की जा रही है। एर्ना ने कोरोना को फैलने से रोकने के लिए सीधे-सीधे देश के सभी बच्चों से टीवी के जरिए संवाद किया और समझाया कि कैसे इससे लड़ना है। इस दौरान बच्चों ने उनसे अपनी बर्थडे पार्टी मनाने या अपनी सहेली के घर क्यों नहीं जाने जैसे सवाल पूझे, जिसका जवाब भी उन्होंने दिया। इसके अलावा एर्ना ने आपातकालीन शक्ति के तहत पब्लिक और प्राइवेट संस्थानों को बंद करा दिया। इसके बाद जब हालात थोड़े काबू में हुए तो धीरे-धीरे लॉकडाउन में ढील दी गई और आज वहां पर हालात सामान्य है।

फिनलैंड, प्रधानमंत्री सना मरीन

फिनलैंड की 34 वर्षीय प्रधानमंत्री सना मरीन ( Finland, Prime Minister Sana Marine ) दुनिया की सबसे कम उम्र की हैं, जो किसी देश का नेतृत्व कर रही हैं। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सना ने युवाओं और सोशल मीडिया पर लोकप्रिय लोगों का साथ लिया। उन्होंने कोरोना की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए आसानी के साथ आम लोगों तक पहुंचाई और बताया कि कैसे इससे बचना है। सना ने बताया कि सोशल मीडिया की पहुंच हर किसी के पास है, जबकि अखबार और टेलीविजन शायद नहीं है। ऐसे में कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करना ही सबसे बड़ी बात थी। अब फिनलैंड में कोरोना संक्रमण के मामले बेहद कम हैं।

आइसलैंड, प्रधानमंत्री कात्रिन जेकब्सदोत्तिर

कोरोना के खिलाफ लडा़ई में आइसलैंड की प्रधानमंत्री कात्रिन जेकब्सदोत्तिर ( Iceland’s Prime Minister Katrin Jacobsdottir ) की भूमिका को काफी सराहा जा रहा है। उन्होंने देश के सभी नागरिकों को मुफ्त में टेस्टिंग उपलब्ध करवाया है। सबसे बड़ी बात कि उन्होंने देश के हर नागरिक के लिए टेस्ट जरूरी कर दिया।

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आइसलैंड में कोरोना की जांच को प्राथमिकता में रखते हुए तेजी के साथ ट्रैकिंग सिस्टम के सहारे मरीज़ों की, उनके संपर्क में आए लोगों की पहचान करके उन्हें आइसोलेट किया जा रहा है। इससे वहां पर कोरोना मरीजों की संख्या काफी कम देखने को मिला है और इस महामारी पर काबू पाने में कामयाबी हासिल की है।

डेनमार्क, प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन

डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ( Prime Minister of Denmark Mette Fredericksen ) ने कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए लॉकडाउन का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित किया। इसके अलावा लोगों को मुसीबत से बाहर निकालने के लिए काफी पहले ही आर्थिक पैकेज की घोषणा कर दी। सरकार ने मार्च में ही लॉकडाउन की शुरुआत की थी। अब जब स्थितियां बेहतर हो रही है तो सरकार धीरे-धीरे लॉकडाउन को खोलने की भी तैयारी कर रही है। हालांकि ये साफ कर दिया गया है कि यदि मामले बढ़ते हैं तो ढील को वापस लिया जाएगा। सरकार ने अर्थव्यस्था को बनाए रखने के लिए देश के लोगों और कंपनियों को आर्थिक सहायता भी देनी शुरू कर दी है।

जर्मनी, चांसलर एंजेला मर्केल

जर्मनी में कोरोना के मामले शुरुआती समय में काफी तेजी के साथ फैलते हुए दिखाई दिया, लेकिन इसके बाद चांसलर एंजेला मर्केल ( Chancellor Angela Merkel, Germany ) ने सख्ती के साथ कुछ कदम उठाए। परिणाम ये रहा कि आज जर्मनी में कोरोना को लेकर हालात सामान्य देखा जा रहा है। मर्केल ने किसी भी बड़े देश की तुलना में सबसे ज़्यादा लोगों की टेस्टिंग करने पर ध्यान केंद्रत किया और वायरस के फैलने की शुरुआत में ही कड़े कदम उठाए। मर्केल ने लोगों से कहा कि यदि हम सावधानी नहीं बरते तो जर्मनी की 60 से 70 फीसदी आबादी को कोरोना हो सकता है। इसके बाद कई तरह के कदम उठाए गए। अब हालात सुधरने के साथ ही जर्मनी में लॉकडाउन में ढील दी गई है और स्थितियां सुधरी हैं। बताया जा रहा है कि इन सबके पीछे मर्केल की लीडरशिप, प्रांतीय सरकारों की सूझबूझ, बेहतर तैयारी और अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर का सबसे बड़ा हाथ है।

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