सरकार ने कानून को कठोर करने के लिए यह प्रावधान रखा है कि महिला को अपने गर्भ में पल रहे भ्रूण की मौजूदा स्थिति की डाक्टर को जानकारी देनी होगी। इसके साथ ही गर्भपात से जुड़े विज्ञापनों पर रोक लगानी होगी।
सत्तारूढ़ पार्टी का तर्क है कि इससे देश में विवाह और परिवार पर अच्छा असर होगा। समाज गर्भपात को एक अच्छा समाधान नहीं मानता है। इसमें बदलाव की सख्त जरूरत है,ताकि समाज पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभाव को रोका जा सके।
सरकार के उलट अन्य संगठन इसे महिला के मौलिक अधिकारों का हनन के तौर पर देख रहे हैं। वे देशभर में इसका विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल, ह्यूमन राइट वाच, मैरी स्टॉप्स इंटरनेशनल जैसे संगठनों का कहना है कि यह मौलिक अधिकारों के साथ ही निजता के खिलाफ है। यह चिकित्सा निर्णय के अधिकारों का भी सीधे तौर पर उल्लंघन है।
संसद खारिज कर चुकी है विधेयक
सरकार के उलट अन्य संगठन इसे महिला के मौलिक अधिकारों का हनन के तौर पर देख रहे हैं। वे देशभर में इसका विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल, ह्यूमन राइट वाच, मैरी स्टॉप्स इंटरनेशनल जैसे संगठनों का कहना है कि यह मौलिक अधिकारों के साथ ही निजता के खिलाफ है। यह चिकित्सा निर्णय के अधिकारों का भी सीधे तौर पर उल्लंघन है।
संसद खारिज कर चुकी है विधेयक
स्लोवाकिया में गर्भपात पर प्रतिबंध या इसे कड़ा करने की मांग उठी है। इस साल सितंबर में देश की संसद चार ऐसे ही विधेयकों को पहले ही खारिज कर चुकी है। इसमें गर्भपात को प्रतिबंधित करने की मांग की गई थी।