दुनिया पर मंडराया सबसे बड़ा खतरा, अंटार्कटिका में पड़ी दरार देख वैज्ञानिक चिंतित

अंटार्कटिका के बड़े आइस बर्ग में 20 किलोमीटर लंबी दरार पड़ गई है
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के कोपरनिकस सेंटिनल उपग्रह ने दरार की तस्वीरें ली है

नई दिल्ली। पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्द्ध स्थित अंटार्कटिका (जो कि बर्फ की चादरों से ढकी है) को लेकर एक बुरी खबर सामने आई है। ग्लोबल वार्मिंग से जूझ रही दुनिया के सामने एक ओर बड़ी मुसीबत आने वाली है।

दरअसल, अंटार्कटिका के एक बेहद बड़े आइस बर्ग (बर्फ का पहाड़) में दो बड़ी दरारें आ गई हैं, जिसे लेकर वैज्ञानिक पेरशाना हैं। सबसे बड़ी बात कि ये दरारें 20 किलोमीटर के दायरे में फैली है।

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यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के कोपरनिकस सेंटिनल उपग्रह से ली गई तस्वीरों में साफ दिखाई दे रहा है कि पश्चिम अंटार्कटिक की बर्फ की चादर में दो बड़ी दरारें पड़ गई है।

तस्वीरों में दिखाई दे रही ये दरारें पाइन द्वीप ग्लेशियर पर मौजूद है। अंटार्कटिक के इस इलाके में बिछी बर्फ की ये चादर बीते 25 वर्षों में समुद्र में बड़ी मात्रा में बर्फ छोड़ रही है।

बन सकता है नया आइसबर्ग

वैज्ञानिकों का दावा है कि व्यापक स्तर पर पड़े इन दरारों के कारण एक नया हिमखंड यानी (आइसबर्ग) बन सकता है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) की रिपोर्ट में बताया गया है कि जिस रफ्तार से पाइन द्वीप ग्लेशियर में हर दिन 10 मीटर से अधिक तेजी से बर्फ आगे बढ़ रही है।

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रिपोर्ट की मानें तो यही कारण है कि 1992, 1995, 2001, 2007, 2013, 2015, 2017 और 2018 में बड़ी आपदा आई है। आगे यह भी बताया गया है कि इस तरह से दरार आने और आइस बर्ग बनने की वजह से बर्फ का एक बड़ा हिस्सा पिघल रहा है। लिहाजा, समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है।

विश्लेषण से यह भी पता चला है प्रदूषण व अन्य कारणों से पिछले महीने ग्रीनलैंड के 40 फीसदी अधिक बर्फ पिघला है, जिसमें कुल बर्फ 2 गीगाटन से अधिक होने का अनुमान है। अकेले ग्रीनलैंड में एक ही दिन में 2 अरब टन बर्फ गल चुकी है।

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