शोध में दावा, 2022 तक दुनिया की एक चौथाई आबादी को नहीं मिल पाएगी कोरोना वैक्सीन

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‘द बीएमजे’ पत्रिका में प्रकाशित शोध में ये बताया गया है कि दुनिया की करीब एक चौथाई आबादी को 2022 तक कोरोना का टीका ( Corona Vaccine ) नहीं लगाया जा सकता है।
शोध में कहा गया है कि कोरोना वैक्सीन का वितरण करना उसे बनाने जितना ही चुनौतीपूर्ण होगा।

<p>Research: A Quarter Of World&#8217;s Population Will Not Get Corona Vaccine By 2022</p>

वॉशिंगटन। कोरोना महामारी ( Corona Epidemic ) से पूरी दुनिया जूझ रही है और इससे अब तक लाखों लोगों की जान जा चुकी है, वहीं करोड़ों लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। हालांकि कुछ देशों में कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण ( Corona Vaccination ) की शुरुआत होने से उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं।

इन सबके बीच एक शोध की रिपोर्ट सामने आई है, जो चिंता बढ़ाने वाली है। दरअसल, बुधवार को ‘द बीएमजे’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में ये दावा किया गया है कि दुनिया की करीब एक चौथाई आबादी को 2022 तक कोरोना का टीका नहीं लगाया जा सकता है। शोध में कहा गया है कि कोरोना वैक्सीन का वितरण करना उसे बनाने जितना ही चुनौतीपूर्ण होगा।

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शोध के मुताबिक, कम और मध्यम आय वाले देशों में मांग के अनुरूप वैक्सीन की निष्पक्ष और न्यायपूर्ण तरीके से आपूर्ति सुनिश्चित करना एक चुनौती होगी। ‘द बीएमजे’ में ही प्रकाशित एक अन्य शोध में ये कहा गया है कि पूरी दुनिया के 3.7 अरब व्यस्क लोग कोरोना टीका लगवाना चाहते हैं।

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2022 तक सभी को नहीं मिल पाएगी वैक्सीन

कोरोना महामारी से पूरी दुनिया जूझ रही है और विकसित या बड़े देश या अधिक समर्थ देश वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर आशान्वित हैं, लेकिन कम आय वाले या गरीब देशों के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है।

ऐसे में अमरीका में जॉन्स हॉप्किन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसंधानकर्ताओं ने कहा है कि इस शोध से ये पता चलता है कि बड़े या अधिक आय वाले देशों ने वैक्सीन की भविष्य में आपूर्ति सुनिश्चित कर ली है, पर शेष दुनिया तक इनकी पहुंच एक चुनौती है।

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अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि वैक्सीन की आधी से अधिक खुराक अधिक आय वाले देशों (दुनिया की जनसंख्या का करीब 14 फीसदी) को मिलेगी। बाकी की वैक्सीन मध्यम आय वाले देशों (दुनिया की जनसंख्या का 85 फीसदी) को मिलेंगी।

ऐसे में ये अनुमान है कि 2022 तक दुनिया की करीब एक चौथाई आबादी को संभवतः कोरोना का टीका नहीं लगाया जा सकेगा। यदि पूरी दुनिया के सभी वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां अपनी अधिकतम क्षमता के अनुरूप भी उत्पादन करे तो भी 2022 तक दुनिया की आबादी के कम से कम पांचवें हिस्से तक टीका नहीं पहुंच पाएगा।

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