इसका रिकॉर्ड किसी भी सरकार के पास नहीं
ब्रिटिश कोलंबिया के सैलिश भाषा बोलने वाले एक समूह फर्स्ट नेशन की प्रमुख रोसेन कैसमिर बताया कि जमीन के नीचे की वस्तुओं का पता लगाने वाले रडार की मदद से इन शव का पता चला है। इसके बारे में जानकारी देते हुए रोसेन कैसमिर ने कहा कि यहां पर और शव मिल सकते हैं। स्कूल के मैदान पर और इलाकों की तलाशी ली जानी चाहिए। कमलूप्स इंडियन रेजीडेंशियल स्कूल के दस्तावेजों में कभी इसका जिक्र नहीं किया गया। वहीं एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्थानीय म्यूजियम और रायल ब्रिटिश कोलंबिया म्यूजीयम मिलकर इन शवों के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
पांच साल पहले दी थी रिपोर्ट
ऐसा कहा जाता है कि 1970 के दशक तक फर्स्ट नेशन के लाखों बच्चों को उन्हें कनाडाई समाज में अपनाने के कार्यक्रम के तौर पर सरकार के वित्त पोषण वाले ईसाई स्कूलों में पढ़ना होता था। उन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तन के लिए विवश किया जाता। कई बच्चों को पीटा जाता था तथा उन्हें अपशब्द कहे जाते। उस दौरान 6,000 बच्चों की मौत हो गई थी। ट्रूथ एंड रिकांसिलिएशन कमीशन ने पांच वर्ष पहले संस्थान में बच्चों के साथ हुए दुर्व्यवहार पर विस्तृत रिपोर्ट दी थी।
1978 से बंद है स्कूल
ब्रिटिश कोलंबिया के प्रमुख जॉन होरगान ने इस घटना पर दुख जताया है। उन्होंने कहा इस पूरे मामले जांच की जाएगी। बताया जा रहा है कि कैमलूप्स स्कूल 1890 से 1969 तक संचालित हुआ था। उक्त शहर के इस स्कूल में सबसे ज्यादा 500 बच्चे रजिस्टर्ड थे। 1969 में कनाडा सरकार ने ईसाइयों से इस स्कूल का प्रबंध अपने हाथ ले लिया था और बाद में स्कूल बंद कर दिया। इसके बाद यह स्कूल 1978 में बंद हो गया।