इधर, तुर्की के समुद्री निदेशालय ने जानकारी दी है कि समुद्री लुटेरों ( Pirates Attack ) ने एम/वी मोजार्ट नामक पोत पर हमला किया। जब पोत के चालक दल के सदस्यों को यह ऐहसास हो गया कि समुद्री लुटेरे हमला करने वाले हैं तो खुद को बचाने के लिए सुरक्षित स्थान पर बंद कर लिया, लेकिन करीब छह घंटे बाद लुटेरे वहां पहुंच गए और इस बीच दोनों पक्षों में काफी संघर्ष हुआ। इस दौरान चालक दल के एक सदस्य की मौत हो गई।
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तुर्की की सरकारी संवाद एजेंसी अनादोलु के मुताबिक, पोत में सवार चालक दल के अधिकतर सदस्यों का शनिवार को अपहरण किया गया। लुटेरों ने अपहरण के बाद तीन नाविकों के साथ पोत को गिनी की खाड़ी में छोड़ दिया।
राष्ट्रपति एर्दोगन ने चालक दल के सदस्यों से की बात
रिपोर्ट के अनुसार, पोत इस समय गैबोन के बंदरगाह जेंटिल की ओर बढ़ रहा है। इस पूरे मामले पर तुर्की के राष्ट्रपति कार्यालय ने ट्वीट करते हुए ये बताया कि तुर्की के राष्ट्रपति रेसप तैयब एर्दोगन ने पोत पर बचे वरिष्ठ अधिकारी से दो बार बात की है।’ इसके अलावा राष्ट्रपति ने अपहृत चालक दल के सदस्यों की सकुशल वापसी का आदेश भी जारी किया है।
तुर्की की मीडिया ने मृत चालक दल सदस्य की पहचान अजरबैज़ान के रहने वाले एवं पेशे से इंजीनियर फरमान इस्मायीलोव के तौर पर की है। यह इस पोत पर इकलौता गैर तुर्की सदस्य था।
लागोस से केपटाउन जा रहा था पोत
मालूम हो कि जिस मोजार्ट नामक पोत के चालक दल के सदस्यों का अपहरण किया गया उसमें लाइबेरिया का ध्वज लगा था। यह पोत नाइजीरिया के लागोस से दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन जा रहा था। इसी बीच शनिवार सुबह द्विपीय देश साओ टोमे एंड प्रिंसीप से 185 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में इसका अपहरण कर लिया गया।
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, समुद्री लुटेरों ने पोत की अधिकतर प्रणाली को निष्क्रिय कर दिया है, इससे पोत का पता लगाने में काफी मुश्किलें हो रही है। हालांकि लुटेरों ने नेविगेशन प्राणाली को नष्ट नहीं किया है, ताकि पोत को लेकर बंदरगाह तक पहुंचा जा सके।