FATF की ग्रे सूची से जून तक नहीं निकल सकता पाकिस्तान, खर्चे पड़ रहे भारी

Highlights. – वैश्विक आतंकियों की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसा है पाकिस्तान – जून तक एफएटीएफ की ग्रे सूची से उसके निकलने की कोई उम्मीद नही – पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की ग्रे सूची में डाला गया था
 

नई दिल्ली।
पाकिस्तान को उसकी करतूतें अब खुद सबक सीखा रही हैं। वह वैश्विक आतंकियों की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ऐसा फंसा है कि आगामी जून तक फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे सूची से उसके निकलने की कोई उम्मीद नहीं है। यह खबर भारत के लिए जितनी अच्छी है, पाकिस्तान और आतंकियों के लिए उतनी ही बुरी।
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की प्लेनरी एंड वर्किंग गु्रप मीटिंग में पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला गया था। 27 एक्शन प्वाइंट्स को लागू कर वैश्विक चिंताओं को दूर करने के लिए एक समय-सीमा भी निर्धारित की गई थी। मगर अभी तक इसमें कोई बदलाव होता नहीं दिख रहा। वैश्विक आतंकियों की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे पाकिस्तान को जून तक इस ग्रे सूची से निकल पाना संभव नहीं दिख रहा।
बावजूद इसके वह सदस्य देशों से वैश्विक आतंकी वित्त पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग वॉचडॉग की प्लेनरी मीटिंग के आगे समर्थन हासिल करने के प्रयास मे लगा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, एफएटीएफ की प्लेनरी और वर्किंग ग्रुप की बैठकें पाकिस्तान की ग्रे सूची की स्थिति पर फैसला करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। ये सभी बैठकें 21 से 26 फरवरी के बीच पेरिस में होने वाली हैं।
बता दें कि पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की ग्रे सूची में रखा गया था। उस पर 27 एक्शन प्वाइंट को लागू कर वैश्विक चिंताओं को दूर करने के लिए एक समय-सीमा निर्धारित की गई थी।
माना जा रहा है कि पाकिस्तान ने चेतावनी के बाद भी आतंकियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाए हैं। एफएटीएफ ने गत वर्ष अक्तूबर में अपनी वर्चुअल प्लेनरी मीटिंग के दौरान निष्कर्ष निकाला कि पाकिस्तान फरवरी 2021 तक अपनी ग्रे सूची में बना रहेगा, क्योंकि भारत के दो सर्वाधिक वांछित आतंकी मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ ग्लोबल मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग वॉचडॉग के 6 प्रमुख दायित्वों को पूरा करने में असफल रहा और इससे कार्रवाई बिंदु पूरे करने में विफल हुआ।
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