सारी हदें तोड़ता एक फैसला! एक कॉलेज जहां मेल और फीमेल यूज करते हैं एक ही टॉयलेट

विश्व के सबसे बड़े विश्वविद्यालय ने महिलाओं और पुरुषों के बीच जेंडर गैप खत्म करने के लिए एक अनोखी मुहिम शुरू की है

नई दिल्ली। जेंडर गैप हमारे समाज की एक ऐसी समस्या है जिससे भारत ही नहीं विश्व के कई बड़े देश भी जूझ रहे हैं और ये कोई छोटी समस्या नहीं है। हाल ही में एक खबर ने सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दी है आपको बता दें विश्व के सबसे बड़े विश्वविद्यालय ने महिलाओं और पुरुषों के बीच जेंडर गैप खत्म करने के लिए एक अनोखी मुहिम शुरू की है। हम बात कर रहे हैं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की जहां जेंडर गैप की समस्या को खत्म करने के लिए वहां पढ़ने वाले पुरुष और महिला विद्यार्थी अब कॉलेज में एक ही टॉयलेट का इस्तेमाल करेंगे। इसका मतलब है बाकि कॉलेज, विश्वविद्यालय और संस्थानों की तरह ऑक्सफोर्ड में अब दो टॉयलेट्स के बजाए अब एक ही होगा।
कैसे और क्यूं लिया गया ये फैसला

ये फैसला यूनिवर्सिटी प्रशासन ने ऐसे ही नहीं लिया ये फैसला प्रसाशन ने वहां पढ़ने वाले छात्रों से वोट लेने के बाद लिया है। असल में नंवबर में इसके लिए समरविले कॉलेज के स्टूडेंट्स ने इस तरह के टॉयलेट बनवाने के लिए मना कर दिया था। पिछले साल स्टूडेंट्ल ने कहा था कि मेल और फीमेल स्टूडेंट्स का अगर एक ही टॉयलेट होगा तो इससे महिलाओं में छेड़छाड़ की वारदातों में इजाफा होगा। नवंबर के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने एक बार फिर सीक्रेट बैलेट के जरिए कॉलेज ने चुनाव कराया। जिसमें 80 प्रतिशत स्टूडेंट्स के पक्ष में वोट गया।
न मेल न फीमेल तो क्या रखा गया इसका नाम?

एक अंग्रेजी वेबसाइट में छपी खबर के अनुसार ऑक्सफोर्ड में मेल और फीमेल के लिए जो नया टॉयलेट बनवाया है, उसे जेंडर न्यूट्रल टॉयलेट नाम दिया गया है। इसका मतलब है कि कॉलेज में लड़का और लड़की के लिए एक ही टॉयलेट होगा। इस फैसले के बाद टॉयलेट के आगे से मेल या फीमेल की साइन बोर्ड हटा दिए गए हैं। शौचालयों के आगे Gender Neutral Toilets with Cubicles या फिर Gender Neutral Toilets with Urinals लिखा होगा।
इससे जेंडर गैप को खत्म करने में मदद तो मिलेगी साथ ही यह एलजीबीटी कम्युनिटी के लिए सकारात्मक संदेश के तौर पर काम कर सकती है लेकिन खबरों के मुताबिक कुछ स्टूडेंट्स का कहना है कि इस तरह के टॉयलेट बनने के बाद यूनिवर्सिटी में छेड़छाड़ की वारदातें हो सकती हैं।
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