इस सम्मान के लिए कई दिग्गजों व संस्थाओं का नाम सबसे आगे चल रहा था, जिसमें प्रेस फ्रीडम समूह, विश्व स्वास्थ्य संगठन ( World Health Organization ) और पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ( Activist Greta Thunberg ) का नाम प्रमुख है।
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हालांकि ज्यूरी ने सर्वसम्मति से वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को इस पुरस्कार के लिए चुना। दुनिया भर में भूख मिटाने और पीड़ितों की मदद करने में वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की अहम भूमिका के लिए नोबेल कमिटी ने इस पुरस्कार से सम्मानित किया है। समिति ने संघर्ष से प्रभावित क्षेत्रों में शांति और युद्ध के हथियार के रूप में भूख के उपयोग को रोकने के लिए किए गए WFP की प्रयासों की जमकर सराहना की।
2019 में 88 देशों में लोगों तक पहुंचाई मदद
नोबेल कमेटी की अध्यक्ष बेरिट राइस एंडर्सन ने कहा कि WFP ने 2019 में 88 देशों के करीब 10 करोड़ लोगों तक सहायता पहुंचाई। उन्होंने कहा कि WFP दुनिया भर में भूख को मिटाने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने वाला सबसे बड़ा संगठन है।
आपको बता दें कि इस साल शांति नोबेल पुरस्कार के लिए 318 नामांकन आए थे। इनमें 211 शख्सियतें और 107 संगठन शामिल हैं। सूची में शामिल सभी नामों को अगले 50 वर्षों तक गोपनीय रखा जाता है। ऐसे में यह कहना बहुत ही मुश्किल होता है कि यह पुरस्कार किसे मिलेगा।
क्या है World Food Programme?
विश्व खाद्य कार्यक्रम ( WFP ) दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संगठन है जो भूख मिटाने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के मुद्दे पर काम करता है। संयुक्त राष्ट्र की यह एजेंसी पूरी दुनिया में आपातस्थितियों (विशेषकर गृह युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं) में लोगों तक खाना पहुंचाने और जरूरतमंदों तक खाद्य सामग्री पहुंचाने का काम करता है।
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भूख से लड़ने की कोशिशों, युद्धग्रस्त क्षेत्रों में शांति के लिए हालात बेहतर करने और जंग और विवाद की स्थिति में भूख को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किए जाने से रोकने में WFP अहम भूमिका निभाती है।
भारत में WFP अब सीधे खाद्य सहायता प्रदान करने के बजाय भारत सरकार को तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण सेवाएं प्रदान करता है। इस साल कोरोना महामारी के इस खौफनाक समय में जरूतमदों तक मदद पहुंचाने का काम किया।