नई दिल्ली। मौत के बाद जीव के शरीर का कोई अस्तित्व नहीं रहता और इसीलिए लोग अपने धर्म के अनुसार उसका क्रियाकर्म कर देते हैं क्योंकि मौत के बाद जिस्म धीरे-धीरे सडऩे लगता है और इसीलिए ज्य़ादा देर तक उसे सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है। लेकिन दुनिया में कुछ ऐसी डेड बॉडीज़ है जो कि वर्षों के बाद आज भी सुरक्षित है। कुछ को तो सुरक्षित रखने के लिए कुछ उपाय करने पड़े और कुछ तो बिना किसी उपाय के ही आज तक बिल्कूल ठीक है। लोग इन्हें देखकर व इनके बारे में जानकर हैरान हो जाते हैं कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है? तो चलिए आपको भी आज कुछ ऐसी डेडबॉडीज़ के बारे में बताते हैं...
इनमें सबसे पहला नाम आता है सेंट जीटा का जो कि एक कैथोलिक संत थी। सेंट जीटा की मौत 1272 में हुई। मौत के बाद उनके घर के ऊपर एक तारा दिखाई दिया था। इसके बाद लोगों ने 1580 में उनकी बॉडी
को खोंदकर निकाला तो देखा कि उनकी बॉडी तब तक बिल्कूल ठीक थी। आज तक ये बॉडी इटली के लुक्का कस्बे के बैसिलिका डी सैन फ्रैडियानों में रखी हुई है।
इसमें दूसरा नाम आता है जॉन टोरिंगटन का जो कि एक अंग्रेज अफसर थें। साल 1846 में नॉर्थ वेस्ट पैसेज के खोज के अभियान के दौरान उनकी मौत हो गई और उस वक्त वो केवल 22 वर्ष के थे। मृत्यू के बाद उनके शव को कनाडा के आर्कटिक के बैरन टुंड्रा में दफना दिया गया लेकिन साल 1984 में टोरिंगटन के शव को शिफ्ट करने लिए जब उनके कब्र को खेदा गया तो सभी चकित रह गए क्योंकि उनकी शव में कोई खराबी नहीं आई हुई थी।
दक्षिण अमेरिका में यूरोपियन्स के पहुंचने के पहले एंडिज पर्वत पर इंका महिला की बलि दी गई थी लेकिन हैरान करने वाली बात तो ये है कि करीब 500 सालों के बाद भी ला डोंसेला की बॉडी बर्फ में जमीं हुई पाई गई।
डोरजहो इटिगिलोव नाम के एक बौद्ध भिक्षु थें जिनकी मौत साल 1927 में मेडिटेशन करने के दौरान हो गई। मौत के बाद उनके पार्थिव शरीर को बिल्कूल उसी पोजिशन में जमीन में समाधि दे दी गई। साल 1955 में जब उनके अनुयायियों ने उनके समाधिस्थल का खोला तो पाया कि उनका शरीर ज्यों का त्यों है। तत्पश्चात इनके बॉडी को इटिगेल खाम्बयान पैलेस टेंपल में रख दिया गया।
अब जिनका नाम आता है वो हान राजवंश के एक राजनीतिज्ञ की पत्नी थी। उनका नाम लेडी जिन झुई था। इनकी मौत 163 ईसा पूर्व में हुई और 2000 सालों के बाद 1972 में जब जिन झुई के मकबरे को खोदा गया तो नजारा लोगों को हैरान करदेने वाला था क्योंकि उनकी नसों में तब भी खून मौजुद था ।
सिसली के कैपिटल पालेर्मो में दो साल की बच्ची जिसका नाम रोसालिओ लोम्बार्डाे था। इस बच्ची की मौत साल 1920 में हुई। रोसालिया के पिता ने अपने बेटी के बॉडी को सुरक्षित रखने के लिए एक्सपर्ट की मदद मांगी जिसके चलते आज भी इस बच्ची की बॉडी सुरक्षित है।
व्लादीमिर लेनिन जो कि सोवियत संघ के नेता थे, उनकी मौत साल 1924 में हुई। सोवियत सरकार चाहती है कि आने वाली पीढ़ी इनसे प्रेरित हो जिसके चलते आज भी इनके शव को सुरक्षित रखा गया है। सुरक्षित रखने के लिए आज भी इनके बॉडी को केमिकल से नहलाया जाता है और इंजेक्शन भी लगाए जाते हैं।