ISRO की बड़ी कामयाबी, मंगलयान ने खींची मंगल के सबसे बड़े चांद की तस्वीर

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इसरो (ISRO) मंगलयान में लगे ‘मार्स कलर कैमरा’ की मदद से मंगल के सबसे बड़े चंद्रमा ‘फोबोस’ की तस्वीर ली है।
तस्‍वीर में ‘फोबोस’ से आकाशीय पिंडों के टकराने से बने विशाल गड्ढे भी दिख रहे हैं, इनके नाम हैं स्लोवास्की, रोश और ग्रिलड्रिग।

बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मंगलयान (मार्स ऑर्बिटर मिशन या MOM) में लगे ‘मार्स कलर कैमरा’ (एमसीसी) के जरिए मंगल के सबसे बड़े चंद्रमा ‘फोबोस’ की तस्वीर ली है। एक जुलाई को इस तस्वीर को लिया गया है। इस दौरान मंगलयान मंगल से करीब 7,200 किमी और फोबोस से करीब 4,200 किमी की दूरी पर था।
यह इसरों के लिए बड़ी कामयाबी है। इस तस्वीर की मदद से उसे वहां के वायुमंडल की पड़ताल करने में मदद मिल सकेगी। इसरो ने बताया कि ये तस्वीर ‘6 एमसीसी फ्रेम से ली गई यह एक समग्र तस्वीर है और यह काफी साफ है।’ आकाशीय पिंडो के टकराने से बने विशाल गड्ढे (क्रेटर) फोबोस में दिखाई दे रहे हैं। इनके नाम हैं स्लोवास्की, रोश और ग्रिलड्रिग।
https://twitter.com/MarsOrbiter?ref_src=twsrc%5Etfw
मिशन का उद्देश्य शुरू में छह महीने के लिये ही था

इसरो लगातार मार्स के जलवायु और उस पर जीवन की संभावनाओं को तलाश रही है। 24 सिंतबर 2014 को अपने पहले ही प्रयास में इसरों ने मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में लाल ग्रह (मंगल) की कक्षा में स्थापित किया गया था। इस तरह से वह उन देशों में शामिल हो गया जहां अब तक विकसित देशों की पहुंच थी। पहले इस प्रोग्राम को केवल एक वर्ष के लिए ही रखा गया था। मगर बाद में ईंधन की पर्याप्त मात्रा होने के कारण इसकी समय सीमा बढ़ा दी गई।
लागत 450 करोड़ रुपये है

मंगल पर जीवन के संकेत मिले हैं। यहां पर मिथेन पर्याप्त मात्रा में पाई गई है। इसरों ने 5 नवंबर 2013 को आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा से पीएसएलवी रॉकेट के जरिए इसका प्रक्षेपण किया था। मिशन का लक्षय यहां पर पाए जाने वाले खनिजों की खोज करना है। इसकी संरचना का पता लगाना है।
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