Coronavirus का फैलना क्या एक सोची-समझी साजिश थी? सबूतों को देखकर चौंक जाएंगे आप

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जर्मनी और स्पेन के 500 डॉक्टरों ने बीते दिनों एक प्रेस कॉफ्रेंस में इस बात का खुलासा किया।
डॉक्टरों का कहना है कि पूरी दुनिया से इस सच्चाई को छिपाने की कोशिश की जा रही है।

<p>क्या कोरोना वायरस का फैलना एक सोची समझी रणनीति है।</p>
वाशिंगटन। जर्मनी और स्पेन के 500 डॉक्टरों के एक समूह ने कोविड-19 को एक सोचा समझा अपराध करार दिया है। उनका कहना है कि पूरी दुनिया से इस सच्चाई को छिपाने की कोशिश की जा रही है। इसे मुख्यधारा मीडिया में नहीं लाया जा रहा है। डॉक्टरों ने बीते दिनों एक प्रेस कॉफ्रेंस में इस बात का खुलासा किया कि उनके पास ऐसे कई सबूत हैं जो ये साबित करते हैं कि इस महामारी को जानबूझकर पूरी योजना के तहत सामने लाया गया है।
हस्ताक्षर अभियान चलाया

चिकित्सा विशेषज्ञों का बड़ा समूह हर हफ्ते 5 लाख प्रतियों का एक समाचार पत्र प्रकाशित करता है, ताकि जनता को गलत जानकारी के बारे में सूचित किया जा सके। वे यूरोप में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन करते हैं। 29 अगस्त को करीब एक करोड़ 20 लाख लोगों ने हस्ताक्षर अभियान भी चलाया। इन डॉक्टरों ने तथ्यों को सामने रखा है, जिससे पता चलता है कि महामारी के फैलने से पहले इसकी जानकारी कई लोगों और संगठनों को पहले से ही थी।
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2015 में एक परीक्षण विधि को पेटेंट कराया

2015 में कोविड-19 के परीक्षण के लिए एक प्रणाली और विधि को रिचर्ड रौशचाइल्ड द्वारा एक डच सरकारी संगठन के साथ पेटेंट कराया गया था। डॉक्टरों का कहना है क्या महामारी के बारे में किसी को चार साल पहले ही पता था। उनका कहना है कि पेटेंट कराने वाले को अभी तक पकड़ा क्यों नहीं गया।
लाखों टेस्ट किट 2017-18 में बेचे गए

डॉक्टरों का कहना है कि जैसा कि हम जानते हैं कि कोविड-19 बीमारी चीन में 2019 के अंत में दिखाई दी थी। इसलिए इसे COVID-19 नाम दिया गया। मगर वर्ल्ड इंटीग्रेटेड ट्रेड सॉल्यूशन के डेटा से कुछ चौंकाने वाली बात सामने आई है। 2017 और 2018 में यानि दो साल पहले हजारों की संख्या में कोविड-19 के परीक्षण किट को दुनियाभर में बेचा गया।
सितंबर 2020 को सोशल मीडिया पर एक डेटा शेयर किया गया था। ये काफी हैरान करने वाला था। इस डेटा में देखा जा सकता है कि कोविड-19 नाम की मेडिकल किट को कई देशों को बेचा गया। इसके आंकड़े भी दिए हैं। सोशल मीडिया पर जब ये सूचना वायरल हुई तो वर्ल्ड इंटीग्रेटेड ट्रेड सॉल्यूशन (विट्स) नामक संस्था ने इसका नाम बदलकर ‘मेडिकल टेस्ट किट’ कर दिया। ‘कोविड-19 किट’ नाम देने से पता चलता है कि दो साल पहले इस संस्था को महामारी के बारे में पूरी जानकारी थी।
2025 के अंत में खत्म होगा प्रोजेेक्ट

विश्व बैंक के एक डेटा से पता चलता है कि COVID-19 को एक परियोजना जैसा माना गया है, जिसे मार्च 2025 के अंत तक जारी रहना है। कोविड-19 के कारण इसके एक प्रोजेक्ट को डेटा के जरिए पांच साल की देरी से पूरा होता दर्शाया गया है।
फॉसी भविष्यवाणी कैसे कर सकते हैं?

अमरीकी कोरोना विशेषज्ञ एंथोनी फॉसी ने 2017 में एक बहुत ही अजीब भविष्यवाणी की थी। उन्होंने पूरे विश्वास के साथ घोषणा की थी कि राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल में एक संक्रामक बीमारी का आश्चर्यजनक प्रकोप अवश्य आएगा। डॉक्टरों का आरोप है कि फॉसी इस तरह की भविष्यवाणी कैसे कर सकते हैं? उन्हें क्या पता था?
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30 मिलियन लोगों को मिटा देगी महामारी

2018 में बिल गेट्स ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि एक वैश्विक महामारी इस तरह से आएगी जो 30 मिलियन लोगों को मिटा सकती है। उन्होंने कहा कि यह संभवत: अगले दशक के दौरान होगा। उनकी पत्नी मेलिंडा गेट्स ने कहा था कि यह इंजीनियरड वायरस मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा होगा और आने वाले वर्षों में मानवता को प्रभावित करेगा। ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं, जिसमें इस महामारी की सूचना पहले से मिलती दिखाई पड़ती है।
PANDEMIC नामक गीत

अमरीका में 2013 में एक संगीतकार ने PANDEMIC नामक एक गीत लिखा। अपने गीतों में उन्होंने एक वैश्विक महामारी का वर्णन किया जो लाखों लोगों को मारती है, अर्थव्यवस्थाओं को बंद कर देती है और दंगों को जन्म देती है।
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कई फिल्मों में दिखाई महामारी

कई फिल्मों ने कोरोनोवायरस महामारी को बहुत विस्तार के साथ चित्रित किया, और यहां तक कि इलाज के रूप में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का भी उल्लेख किया। फिल्म ‘डेड प्लेग’ में इस तरह के दृश्य दिखाए गए हैं।
चीन से फैला वायरस

2018 में द इंस्टीट्यूट फॉर डिजीज मॉडलिंग ने एक वीडियो बनाया, जिसमें वे वुहान के क्षेत्र से चीन में एक फ्लू वायरस की उत्पत्ति करते हैं और ये दुनिया भर में फैल रहा है। इससे लाखों लोग मारे गए हैं। उन्होंने इसे महामारी कहा। ठीक ऐसा ही हुआ, दो साल बाद। आखिर उन्होंने क्यों कहा कि यह चीन से आएगा? अफ्रीका ही क्यों, जहां ज्यादा बीमारियां मौजूद हैं? या दक्षिण अमरीका क्यों नहीं? या भारत?
ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में हुआ जिक्र

2012 में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के उद्घाटन शो के दौरान दर्शाया गया कि अस्पताल में दर्जनों बिस्तर लगे हैं, बड़ी संख्या में नर्सें बीमारी से जूझ रही हैं। इस दृश्य में दिखाया गया कि एक बीमारी ने सबको अपने वश में कर रखा है। थियेटर में इस तरह की रोशनी की गई जैसे पूरी दुनिया एक आग में जल रही है। इसमें भी कोरोनो वायरस का जिक्र दिखाई देता है।
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