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अग्निशमन दिवस का इतिहास
अंतरराष्ट्रीय अग्निशमन दिवस पहली बार साल 1999 में मनाया गया। बताया जाता है कि ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया स्थित लिंटन की झाड़ियों में आग लगी थी। इस आग को बुझाने गई टीम के पांच सदस्यों की झुलसकर मौत हो गई थी। अचानक हवा की दिशा बदलने से पांचों फायर फाइटर आग में फंस गए। उनके बलिदान और बहादुरी के सम्मान में हर साल 4 मई को अंतरराष्ट्रीय अग्निशमन दिवस मनाया जाता है। दूसरा कारण यह है कि इस दिन संत फ्लोरिन की मृत्यु हो गई थी। फ्लोनि संत और फायर फाइटर थे। ऐसा कहा जाता है कि एक बार उनके गांव में आग लग गई थी तो उन्होंने महज एक बाल्टी पानी से पूरे गांव की आग बुझा दी थी। इसके बाद से यूरोप में हर साल 4 मई को फायर फाइटर मनाया जाने लगा।
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अग्निशामक दिवस का प्रतीक
अंतर्राष्ट्रीय फायरफाइटर्स डे के प्रतीक में लाल और नीले रंग के रिबन होते हैं। इस रिबन को पांच सेंटीमीटर लंबा और एक सेंटीमीटर चौड़ा काटा जाता है। जिसके शीर्ष पर दो अलग-अलग रंग होते हैं। लाल और नीले रंगों का अर्थ अलग अलग है। लाल आग के तत्व के लिए खड़ा था जबकि नीला पानी के तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। आपातकालीन सेवाओं को सूचित करने के लिए लाल और नीले रंग मान्यता दी गई है।
भारत में 14 अप्रैल को मनाया जाता है फायर फाइटर डे
भारत में 4 मई की बजाय 14 अप्रैल को फायर फाइटर डे मनाया जाता है। इतिहास में इस दिन साल 1944 को मालवाहक जहाज फोर्टस्टीकेन में अचानक आग लग गई थी। इस भीषण आग पर काबू पाने की कोशिश में 66 अग्निशमन कार्यकर्ता आग की भेंट चढ़ वीर गति को प्राप्त हुए। उनके बलिदान के सम्मान में प्रतिवर्ष 14 अप्रैल को देश में फायर फाइटर सर्विस डे मनाया जाता है।