इस संबंध में डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह सिफारिश घाना, केन्या और मलावी में चल रहे पायलट कार्यक्रम के परिणामों पर आधारित है, जो 2019 से अब तक 8,00,000 से अधिक बच्चों तक पहुंच चुका है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा, “यह एक ऐतिहासिक क्षण है। बच्चों के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित मलेरिया वैक्सीन विज्ञान, बाल स्वास्थ्य और मलेरिया नियंत्रण के लिए एक सफलता है।”
उन्होंने आगे कहा, “मलेरिया को रोकने के लिए मौजूदा उपकरणों के शीर्ष पर इस टीके का इस्तेमाल करने से हर साल हजारों युवाओं की जान बचाई जा सकती है।” उप-सहारा अफ्रीका में मलेरिया बचपन की बीमारी और मृत्यु का प्राथमिक कारण बना हुआ है। मलेरिया से प्रतिवर्ष पांच वर्ष से कम आयु के 2,60,000 से अधिक अफ्रीकी बच्चों की मृत्यु हो जाती है। हाल के वर्षों में, डब्ल्यूएचओ और उसके सहयोगी इस घातक बीमारी के खिलाफ प्रगति में ठहराव की रिपोर्ट कर रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ ग्लोबल मलेरिया प्रोग्राम के निदेशक पेड्रो अलोंसो ने कहा, “यों तो वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ तमाम वैक्सीन मौजूद हैं, लेकिन यह पहला ऐसा मौका है जब इंसानी परजीवी के खिलाफ एक वैक्सीन के व्यापक इस्तेमाल के लिए डब्ल्यूएचओ ने सिफारिश की है। एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।”
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मलेरिया से प्रति दो मिनट में एक बच्चे की मौत होती है। यह वैक्सीन पांच परजीवियों में से एक और सबसे ज्यादा घातक प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम के खिलाफ काम करती है। मलेरिया के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द शामिल होता है और फिर ठंड लगने के सात बुखार और पसीना आता है।
अफ्रीका के डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. मत्शिदिसो मोएती ने कहा, “सदियों से, मलेरिया ने उप-सहारा अफ्रीका का पीछा किया है, जिससे अत्यधिक व्यक्तिगत पीड़ा हुई है।” डॉ मोएती ने कहा, “हम लंबे समय से एक प्रभावी मलेरिया वैक्सीन की उम्मीद कर रहे थे और अब पहली बार, हमारे पास व्यापक इस्तेमाल के लिए अनुशंसित ऐसी वैक्सीन है। आज की सिफारिश उस महाद्वीप के लिए आशा की एक किरण प्रदान करती है जहां इस बीमारी का सबसे भारी बोझ है और हम उम्मीद करते हैं कि कई अधिक अफ्रीकी बच्चों को मलेरिया से बचाया जा सकता है और उन्हें स्वस्थ वयस्कों में विकसित किया जा सकता है।”
यह सिफारिश डब्ल्यूएचओ के दो वैश्विक सलाहकार निकायों की सलाह पर आधारित है, जिसमें एक ट काकरण के लिए और दूसरी मलेरिया के लिए है। संगठन के मुताबिक, “डब्ल्यूएचओ सिफारिश करता है कि व्यापक मलेरिया नियंत्रण के संदर्भ में आरटीएस, एस/एएस01 मलेरिया टीका का इस्तेमाल डब्ल्यूएचओ द्वारा परिभाषित मध्यम से उच्च संचरण वाले क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों में पी फैल्सीपेरम मलेरिया की रोकथाम के लिए किया जाना चाहिए। मलेरिया रोग और बोझ को कम करने के लिए आरटीएस, एस/एएस 01 मलेरिया वैक्सीन पांच महीने की उम्र के बच्चों में चार खुराक के रूप में प्रदान की जानी चाहिए।”
अब इस नई सिफारिशी वैक्सीन के अफ्रीकी बच्चों तक पहुंचने से पहले अगला कदम फंडिंग का है। जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कदम है। इसके बाद वैक्सीन के उत्पादन का पैमाना तय करना और यह सुनिश्चित करना है कि सबसे ज्यादा यह कहां पर कारगर होगी और कहां लगाई जाए।