विदेशी मीडिया में छाए रहे अटल बिहारी वाजपेयी विदेशी समाचार पत्रों द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर बड़ी कवेरज की गई है। न्यू यॉर्क टाइम्स, द वाशिंगटन पोस्ट, डॉन, बीबीसी और सीएनएन द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर विस्तृत कवरेज की। इन समाचार पत्रों और चैनलों ने प्रधान मंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान अमरीका -भारत संबंधों को सुधारने और परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों के बीच भारत की स्थिति को बढ़ाने के उनके उल्लेखनीय प्रयासों के बारे में लिखा गया है।
न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूयॉर्क टाइम्स ने अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में लिखा हैं कि, ” भारत के पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का ९३ साल की आयु में निधन हो गया हैं। द न्यूयॉर्क टाइम्स ने वाजपेयी को एक दृढ़ राजनेता के रूप में वर्णित किया हैं और कहा है कि 1998 से 2004 तक भारत के प्रधान मंत्री के रूप में उन्होंने दुनिया को चकित कर दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी की मौत पर मृत्युलेख में न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि अमरीका -भारत संबंधों के बीच के अंतर को काम करने के अपने प्रयासों कम लिए वाजपेयी के प्रयास फलीभूत हुए।
वाशिंगटन पोस्ट वाशिंगटन पोस्ट ने भी न्यूयार्क टाइम्स जैसे ही विचार व्यक्त किए हैं। वाशिंगटन पोस्ट में ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ नामक लेख में बताया गया है कि वो ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने भारत को परमाणु शक्ति बना दी। लेख ने वाजपेयी को भारत को एक परमाणु हथियार राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए श्रेय दिया।वाशिंगटन पोस्ट ने परमाणु हथियारों का परीक्षण करने के उनके निर्णय को भारत अमरीका के संबंधों को प्रभावित करने वाला बताया। लेख में कहा गया है कि परीक्षण के तत्काल बाद, राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत को दक्षिण एशिया की स्थिरता को कम करने और परमाणु प्रसार को रोकने और अंतर्राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय सहमति को चुनौती देने के लिए भारत की निंदा की। लेकिन वाजपेयी ने बंद दरवाजे के पीछे बुद्धिमान कूटनीति का परिचय देते हुए अमरीका के साथ दोस्ताना रवैया स्थपित किया।
सीएनएन सीएनएन ने अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन पर प्रकाश डाला कि वह एक ऐसे नेता अंतरराष्ट्रीय नेता थे जो कभी दबाव में नहीं आये। “भारत की परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर विदेशों में भारी आलोचना का सामना करते हुए वाजपेयी ने आर्थिक प्रतिबंधों के खतरे को खारिज कर दिया। संसद में वाजपेयी के भाषण को उद्घृत करते हुए सीएनएन ने कहा कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय दबाव में आने के बाद कभी दबाव में फैसला नहीं लिया है।
बीबीसी बीबीसी ने अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए लिखा कि गठबंधन की सरकार चलाने में भले उन्हें संघर्ष करना पड़ा, लेकिन उन्होंने उसे कामयाबी से पूरा किया। बीबीसी ने लिखा है कि परमाणु परीक्षण और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को निजी हाथों ने देने पर उन्हें भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
ट्रिब्यून पाकिस्तान पाकिस्तान के अखबार ट्रिब्यून ने लिखा है कि कवि अटल बिहारी वाजपेयी ने जर्नलिस्ट बनने के बाद राजनीतिक सफर शुरू किया। अखबार लिखता है कि भारत में राज करने वाली भारतीय जनता पार्टी का आधार उनके नेतृत्व में ही मजबूत हुआा। अखबार अटल बिहारी वाजपेयी की लाहौर बस यात्रा को याद करते हुए लिखता है कि वह भारत और पाकिस्तान की दोस्ती के सच्चे संरक्षक थे।