वहीं सोमवार को गुजरात में राजकोट से 83 किलोमीटर दूर सोमवार को 12.57 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.4 दर्ज की गई थी। इसके कुछ घंटे बाद भुज में भी भूकंप आया। इसकी तीव्रता 4.1 मापी गई है। रविवार से लेकर सोमवार तक गुजरात के अलग-अलग अलग इलाकों में 14 बार भूकंप के झटके महसूस किए थे।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 24 घंटे में 60 जगह भूकंप के छोटे बड़े झटके महसूस लिए गए हैं। इसमें सबसे तेज भूकंप ताजिकिस्तान में आया था। इसके आलावा अलास्का में 4.5, न्यूजीलैंड में 4.9, जापान में 4.7, सोलोमन आइलैंड पर 5.3 और तुर्की में 5.4 तीव्रता के भूकंप आए। सबसे ज्यादा 4.2 से 4.7 तीव्रता वाले 5 भूकंप बीते 24 घंटे में जापान में दर्ज किये गए हैं।
दुनिया का सबसे तेज भूकंप अब तक का सबसे बड़ा भूकंप चिली में 22 मई 1960 में आया था। इसने रिकॉर्ड कायम किया है। इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर यह 9.5 दर्ज की गई थी। चिली के बाद दूसरा सबसे बड़ा भूकंप 28 मार्च 1964 में अमरीका में आया था और इसकी तीव्रता 9.2 थी। विशेषज्ञों के अनुसार, भूकंप की असली वजह टेक्टोनिक प्लेटों में तेजी से रगड़ खाना बताया जाता है। इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं।
बीते दिनों इंडोनेशिया में आया था भूकंप इंडोनेशिया में भी सबसे अधिक भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। बीते दिनों यहां पर 5़8 तीव्रती का भूकंप महसूस किया गया। इंडोनेशिया का इलाका ‘रिंग ऑफ फायर’ (ring of Fire) में आता है। प्रशांत महासागर के किनारे-किनारे स्थित यह इलाका दुनिया का सबसे खतरनाक भू-भाग है। इंडोनेशिया एक एक्टिव भूकंप जोन में स्थित है। यही कारण है कि यहां पर इतने ज्यादा भूकंप आते हैं। इंडोनेशिया प्रशांत महासागर में मौजूद ‘रिंग ऑफ फायर’ का पार्ट है। ‘रिंग ऑफ फायर’ प्रशांत महासागर के बेसिन का इलाका है। जहां पर कई ज्वालामुखी फटते रहते हैं। इसके कारण यहां पर तगड़े भूकंप के झटके आते हैं। भूकंप के कारण ही समुद्र में सुनामी का खतरा बना रहता है। यह रिंग ऑफ फायर का इलाका करीब 40 हज़ार किमी के दायरे में फैला है। यहां पर विश्व पर 75 फीसदी सक्रिय ज्वालामुखी हैं।