इस महिला को पनाह देने के मामले में आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच तकरार

Highlights. – 26 साल की महिला को तुर्की में प्रवेश करते वक्त गिरफ्तार किया गया था – महिला के पास न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया दोनों ही देशों की नागरिकता थी- अब वह न्यूजीलैंड में निर्वासन झेल रही है, जिस पर जेसिंडा को आपत्ति है
 

नई दिल्ली।
26 साल की एक महिला के लिए दो देशों के बीच इन दिनों तकरार चल रही है। यह महिला मौजूदा वक्त में न्यूजीलैंड में निर्वासन झेल रही है। इस महिला को सीरिया से तब पकड़ा गया था, जब वह अपने दो बच्चों के साथ तुर्की में प्रवेश करने की कोशिश कर रही थीं। तुर्की के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्रालय ने इस महिला की पहचान कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट की महिला सदस्य के तौर पर की थी।
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डन ने इस महिला के मामले में आस्ट्रेलिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंन कहा कि आस्ट्रेलिया इस मामले में अपनी जिम्मेदारी से बचते हए पल्ल झाड़ रही है। जेसिंडा ने दावा किया है कि आरोपी महिला को पकड़े जाने के बाद न्यूजीलैंड की जगह आस्ट्रेलिया में रखा जाना चाहिए।
बता दें कि इस महिला के पास न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया दोनों ही देशों की नागरिकता थी। मगर पिछले साल आस्ट्रेलिया ने उनकी नागरिकता खत्म कर दी थी।

इस महिला के मामले में जेसिंडा का कहना है कि वह बचपन में न्यूजीलैंड में रही। उसने 6 साल की उम्र में न्यूजीलैंड छोड़ दिया। इसके बाद वह यहां नहीं आई। तब से वह आस्ट्रेलिया में रह रही थी और वहीं की नागरिकता हासिल कर ली थी। इस आरोपी महिला ने अपनी आस्ट्रेलिया से सीरिया की यात्रा भी आस्ट्रेलिया के पासपोर्ट पर की थी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आस्ट्रेलिया की समस्या को झेलते-झेलते न्यूजीलैंड अब थक चुका है।
हालांकि, आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने भी इस मामले में अपना रूख स्पष्ट कर दिया है। उन्होंन कहा कि हमारा काम आस्ट्रेलिया के हितों की रक्षा करना है। संसद में पारित कानून के तहत दोहरी नागरिकता वाले नागरिकों पर किसी भी चरमपंथी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगता है, तो उसकी आस्ट्रेलिया की नागरिका अपने आप खत्म हो जाएगी।
बहरलहाल, यह पहली बार नहीं है जब चरमपंथ में संलिप्त होने का आरोप झेल रहे व्यक्ति की नागरिकता को लेकर विवाद पैदा हुआ है। इससे पहले, वर्ष 2019 में शमीमा बेगम ने लंदन से भागकर इस्लामिक स्टेट की सदस्य बन गई थीं। इसके बाद उनकी नागरिकता ब्रिटेन ने खत्म कर दी थी। माना जाता है कि शमीमा अपनी मां की वजह से बांग्लादेशी नागरिकता के योग्य थीं, मगर बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने शमीमा को नागरिकता देने से मना कर दिया। मंत्रालय ने कहा कि शमीमा को वह अपने देश की नागरिकता नहीं देगा और न ही इसका कोई सवाल पैदा होता है।
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