जी हां, ईरान पर परमाणु कार्यक्रम की वजह से कई कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगे हुए हैं। लोगों को उम्मीद थी कि बाइडेन आएंगे और ईरान को न सिर्फ प्रतिबंधों में राहत देंगे बल्कि, उसके साथ वर्ष 2015 में हुए परमाणु समझौते को फिर से आगे बढ़ाएंगे। मगर इस मामले का हल फिलहाल ठंडे बस्ते में हैं, इसलिए आगे क्या होगा इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
बहरहाल, हाल ही में राष्ट्रपति बनने के बाद जो बाइडेन ने एक साक्षात्कार में कह दिया है कि ईरान जब तक वर्ष 2015 के परमाणु समझौते की शर्तों का पालन नहीं करता, उसके खिलाफ लगे प्रतिबंध नहीं हटेंगे। वहीं, ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली खामनेई अपनी जिद्द पर अड़े हैं। खामनेई के मुताबिक, अमरीका पहले ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाए, तभी हम शर्तों को मानेंगे और उस हिसाब से चलेंगे।
बता दें कि अमरीका और उसके कई अन्य मित्र देशों को यह लगता है कि ईरान ने अगर परमाणु हथियार बना लिया तो आने वाले समय में वह पूरे क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करेगा। वैसे यह पहली बार नहीं है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमरीका और उसके सहयोगी देश हमेशा से चिंता में रहे हैं। ओबामा जब राष्ट्रपति थे, तब 2017 में परमाणु समझौता होने के बाद ऐसा लग रहा था कि परेशानियां खत्म हो जाएंगी, लेकिन अफसोस ऐसा हुआ नहीं। ईरान नहीं माना तो 2018 में राष्ट्रपति रहे डोनाल्ड ट्रंप ने समझौते को रद्द कर दिया और ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। हालांकि, ईरान ने इसके बाद यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम में तेजी ला दी और दोनों तरफ से चीजें जारी हैं।