यह भी पढ़ेंः एक साल में कोरोना वैक्सीन हो सकती है बेअसर, वैज्ञानिकों ने रिसर्च कर बताई इसकी वजह रिपोर्ट के मुताबिक एसआईआई के सीईओ पूनावाला ने यह भी बताया है कि भारत सरकार ने अन्य देशों के लिए कोविशील्ड के शिपमेंट को भेजे जाने पर रोक लगा दी थी। उन्होंने आगे बताया कि भारत के साथ फर्स्ट क्लैम डील को विदेश में समझाना मुश्किल है क्योंकि वहां पर कोरोना वैक्सीन की प्रति खुराक ज्यादा कीमत पर बेची गई हैं।
बीते माह यानी मार्च में एस्ट्राजेनेका ने कोरोना वैक्सीन के लिए व्यापक और न्यायसंगत उपलब्धता के लिए अभूतपूर्व कोशिशें की थीं। इसके अंतर्गत वैक्सीन की आपूर्ति की घोषणा 142 देशों के लिए की गई थी। प्रमुख फार्मा कंपनी ने घोषणा की थी कि एस्ट्राजेनेका भारत में अपने पार्टनर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ कोवैक्स की सबसे बड़ी शुरुआती सप्लायर होगी।
एस्ट्राजेनेका ने कहा, बहुध्रुवीय कोवैक्स पहल के तहत कोरोना वैक्सीन की कई लाख खुराकें दुनिया भर में निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पहुंचने लगी हैं। जरूर पढ़ेंः कोरोना टेस्टिंग के लिए आई पॉकेज साइज मशीन, सस्ती रिपोर्ट के साथ वेरिएंट्स भी पहचाने
बताया गया है कि पहले कोवैक्स शिपमेंट को कई देशों में भेजा गया था। इनमें घाना और कोटे डी आइवरी, फिलीपींस, इंडोनेशिया, फिजी, मंगोलिया और मालदीव जैसे कई देशों का नाम शामिल है। कई देशों के लिए यह आपूर्ति इनमें से पहली कोरोना वैक्सीन का प्रतिनिधित्व करती है।
वहीं, एस्ट्राजेनेका ने बताया था कि आने वाले कुछ माह में कोरोना वैक्सीन की लाखों डोज के साथ दुनिया के कुल 142 देशों में इसकी आपूर्ति करने के मकसद से आगे की शिपमेंट कुछ हफ्तों में आएगी। एस्ट्राजेनेका और इसके लाइसेंस पार्टनर सीआईआई द्वारा बनाई जा रही इन खुराकों में से अधिकांश को कम और मध्यम आय वाले मुल्कों में भेजा जाएगा।