नासा का बड़ा खुलासा, पूर्वी अंटार्कटिका में पिघल रही है ग्लेशियर की बर्फ

2008 से पहले इन ग्लेशियरों की ऊंचाई में कोई खास बदलाव नहीं आया था। यह ग्लेशियर विनसेन्नेस बे नाम के इलाके में आते हैं।

<p>नासा का बड़ा खुलासा, पूर्वी अंटार्कटिका में पिघल रही है ग्लेशियर की बर्फ</p>

वाशिंगटन। पूर्वी अंटार्कटिका को लेकर नासा ने एक बेहद गंभीर खुलासा किया है। एजेंसी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि तट के आठवें हिस्से में फैले ग्लेशियरों के एक समूह से बीते दशक में बर्फ पिघलनी शुरू हो गई है, जिससे समुद्र में कई बड़े बदलावों का संकेत मिला है। नासा के खास वैज्ञानिकों ने इस बारे में रिसर्च करके पता लगाया है।

कम से कम 11 फीट पिघल चुकी है बर्फ

कहा जा रहा है कि पूर्वी अंटार्कटिका के पास समुद्री जल स्तर में वृद्धि के माध्यम से दुनियाभर की तट-रेखाओं को नई आकृति प्रदान करने की क्षमता है, जबकि वैज्ञानिक लंबे समय से इसे पश्चिमी अंटार्कटिका की तुलना में स्थिर मानते आ रहे थे। मैरीलैंड में नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर की ग्लेशियोलॉजिस्ट कैथरिन वॉकर के नेतृत्व में पाए गए तथ्यों से खुलासा हुआ कि टोटेन के पश्चिम में स्थित चार ग्लेशियरों के एक समूह में समुद्र स्तर को बढ़ाने के लिए पर्याप्त बर्फ है, जिसमें से कम से कम 11 फीट बर्फ पिघल भी चुकी है। आपको बता दें कि टोटेन पूर्वी अंटार्कटिका का सबसे बड़ा ग्लेशियर है।

विनसेन्नेस बे में ग्लेशियर

इसके अलावा पूर्व के दूर क्षेत्रों में कुछ छोटे ग्लेशियर भी पिघल रहे हैं। टोटेन के पश्चिम में स्थित इन चार ग्लेशियरों की ऊंचाई 2008 के बाद से करीब नौ फीट तक कम हो गई है। जबकि 2008 से पहले इन ग्लेशियरों की ऊंचाई में कोई खास बदलाव नहीं आया था। यह ग्लेशियर विनसेन्नेस बे नाम के इलाके में आते हैं।

वॉकर का बयान

इस संबंध में वॉकर ने सोमवार को एक बयान में कहा, ‘इसके पीछे का कारण हवाओं और विलेक्स लैंड व विनसेन्नेस बे में समुद्री जल द्वारा पहुंचाई गई गर्मी है। गर्मी में वृद्धि के परिणामस्वरूप समुद्री बर्फ में परिवर्तन हो सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘अगर गर्म जल काफी दूर तक चला जाता है तो वह गहरी से गहरी बर्फ में पहुंच सकता है। इससे ग्लेशियर के पिघलने में तेजी आ सकती है लेकिन अभी हमें यह नहीं पता चल सका है कि यह कितना जल्दी होगा।’

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