रॉस ने कहा कि विक्रम के बारे में एकत्रित किए गए आंकड़ों और सूचनाओं से पता चलता है कि विक्रम ने चांद पर लैंडिंग के दौरान पलटी खाई थी। हालांकी अभी तक इसकी कोई प्रमाणिकता नहीं है। इसके कारण, विक्रम के रिवर्स-थ्रस्ट उत्पादक इंजन, जो लैंडर को धीमा करने के लिए थे,वे आकाश की ओर उल्टे पड़े हैं। लैंडर को धीमा करने वाले इंजन बेकार पड़े हैं। विक्रम के साथ संचार उसी समय के आसपास खो गया था।
गौरतलब है कि इसरो ने सात सितंबर को विक्रम लैंडर से संपर्क खो दिया। लैंडिंग के प्रयास के अंतिम चरण में संपर्क खो गया था। इसरो विक्रम लैंडर के साथ संपर्क को फिर से स्थापित करने में असमर्थ रहा है। संचार को फिर से स्थापित करने की संभावना अब किसी के पास नहीं है क्योंकि रात चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में है, जहां विक्रम ने लैंडिंग का प्रयास किया। रात के दौरान क्षेत्र में तापमान शून्य से 200 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता है। विक्रम के पास कोई भी हीटिंग उपकरण नहीं है, ऐसे में ठंड से बचने की संभावना कम ही है।