ब्रायन ने मीडिया से कहा कि WHO में काफी सुधार की जरूरत है। अगर हमें लगता है कि संस्था अपने रवैये में बदलाव ला रही है तो दोबारा इस पर विचार किया जा सकता है। अमरीका WHO को करीब 400 मिलियन डॉलर की सहायता देता था। अब उसने पूरी तरह से अपने हाथ खींच लिए हैं। ट्रंप ने बीते दिनों कहा था कि वह चीन और WHO की जुगलबंदी से तंग आ चुके हैं। दोनों ने मिलकर शुरूआत से ही पूरी दुनिया से हकीकत को छिपाए रखा।
अमरीका ने WHO पर कई आरोप लगाए इस दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने WHO के निदेशक डॉ. माइकल जे रायन को एक चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने 30 दिन के भीतर संगठन में बड़े बदलाव करने को कहा था। इस पत्र में चेतावनी थी कि ऐसा न करने पर अमरीका अपनी राशि को हमेशा के लिए बंद कर देगा या संगठन से अलग होने का फैसल ले सकता है।
58 लाख से ज्यादा लोग पीड़ित कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया के अब तक 188 देशों को अपनी चपेट में ले लिया है। इस महामारी से अब तक 5,878,701 लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीं 362,769 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। अमरीका में जहां पर 1,735,971 मामलों हैं। वहीं 102,323 लोगों की मौत हो चुकी है। एक लाख से अधिक लोगों की मौत के बावजूद यहां पर मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।
आर्थिक संकट से जूझ रहा WHO अमरीकी फंडिंग रुकने से WHO आर्थिक संकट से जूझ रहा है। उसका मौजूदा बजट 2.3 बिलियन डॉलर है, जो वैश्विक संस्था के हिसाब से काफी कम है। फंडिंग कम होने की वजह से WHO को बड़ी समस्य का सामना करना पड़ सकता है। अभी सिर्फ चीन ने ही उसे फंडिंग की है, जो अमरीका की फंडिंग का दसवां भाग है। इस दौरान अमरीका ने ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों ने भी WHO से बदलाव का आग्रह किया है।