दरअसल, इस मामले पर कई यूरोपीय देश खुलकर बयान दे चुके हैं और अब रूस पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहे हैं। जर्मनी ने ऐलान किया है कि रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जा रहा है। बता दें कि इस समय जर्मनी यूरोपीय यूनियन का प्रमुख है। दूसरी तरफ विश्व के सबसे बड़े सैन्य संगठन नाटो ने भी इस मामले की जांच की मांग की है।
जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने एक बयान में कहा कि यदि एलेक्सी नवलनी के मामले में मॉस्को की तरफ से कोई स्पष्टीकरण नहीं आता है, तो हम प्रतिबंध लगाने पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे पास इसके पुख्ता सबूत हैं कि पुतिन के शीर्ष सियासी दुश्मन और विपक्षी दल के नेता एलेक्सी नवलनी पर सोवियत युग के सबसे घातक नर्व एजेंट नोविचोक से हमला किया गया।
रूस ने आरोपों से किया इनकार
एलेक्सी नवलनी को जहर देकर मारने के मामले को लेकर जर्मनी के विदेश मंत्री ने रूस से उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि इस हमले से सरकार का कोई लेना देना नहीं है तो सभी तथ्यों की जांच कराएं।
इधर रूस ने तमाम आरोपों से इनकार किया है। रूस ने कहा कि इस घटना से सरकार का कोई संबंध नहीं है। शनिवार को रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि यदि नर्व एजेंट नोविचोक का वास्तव में उपयोग हुआ है, तो यह तय है कि उसे रूस में तैयार नहीं किया गया है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के संबंध में उन्होंने कहा, ‘यह दिलचस्प है कि हर कोई हमेशा रूस का जिक्र करता है, लेकिन मुझे लगता है कि अभी चीन एक ऐसा राष्ट्र है, जिसके बारे में आपको बात करनी चाहिए।’
इधर अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नवलनी को जहर देकर मामले की निंदा करने से भी इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मैंने इसे लेकर सबूत नहीं देखा है, लेकिन ये मामला दुखद था। बता दें कि एलेक्सी की प्रवक्ता कीरा यारमाइश ने बताया था कि नवलनी काम से साइबेरिया गए थे और वहां से मास्को लौट रहे थे। इसी दौरान विमान में चाय के साथ जहर मिलाकर उन्हें दिया गया। इसके बाद अचानक नवलनी की तबीयत बिगड़ गई, तो विमान को आपात स्थिति में लैंडिंग कराई गई। अभी बर्लिन के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।