इस बीच दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने एक बड़ा बयान दिया है। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि निकट भविष्य में कोविड-19 के अधिक नए वेरिएंट की संभावना है। ऐसे में भारत को इन नए वेरिएंट को मात देने के लिए बूस्टर डोज की आवश्यकता हो सकती है।
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उन्होंने कहा कि चूंकि समय बीतने के साथ लोगों में इम्युनिटी कम हो जाती है, ऐसे में लोगों को बूस्टर डोज की जरूरत पड़ेगी, जो उभरते हुए वेरिएंट्स से बचाव करने में मददगार होगी। एक साक्षात्कार में डॉ गुलेरिया ने कहा कि दूसरी पीढ़ी के टीके इम्युनिटी के मामले में बेहतर होंगे। वे उभरते वेरिएंट के खिलाफ लड़ने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि बूस्टर वैक्सीन शॉट्स का परीक्षण पहले से ही चल रहा है। एक बार पूरी आबादी का वैक्सीनेशन हो जाने के बाद अगला कदम सभी को बूस्टर डोज देना होगा। ये खुराक उन्हें हर वेरिएंट से लड़ने के लिए तैयार करेगी।
सितंबर तक आ जाएगी बच्चों की वैक्सीन
डॉ. गुलेरिया ने बच्चों के लिए वैक्सीनेशन के संबंध में कहा कि सितंबर तक टीका आने की उम्मीद है। भारत बायोटेक के कोवैक्सिन के परीक्षणों के नतीजे सितंबर तक जारी होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि जायडस कैडिला ने भी अपने टीके के आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमति मांगी है। फाइजर वैक्सीन को पहले ही FDA का अप्रूवल मिल चुका है।
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ऐसे में उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में या सितंबर तक बच्चों के टीके उपलब्ध हो जाएंगे। डॉ. गुलेरिया ने स्कूल खोलने के संबंध में कहा कि हमें छात्रों को टीकाकरण के बाद क्रमबद्ध तरीके से स्कूल-कॉलेज शुरू करने चाहिए।