वे सैलून में बाल कटवाने, समुद्र तट पर घूमने या पार्टियों का आयोजन करते हैं और अपने गैर जिम्मेदाराना रवैये से जरूरी हिदायतों की धज्जियां उड़ाते हैं। बर्लिन में स्थानीय कोरोंटाइन नियमों की अवहेलना करने पर पुलिस को 63 बार और क्लबों को बंद करने पड़े। इसी तरह न्यूयॉर्क के मेयर बिल डी ब्लासियो अपने पसंदीदा जिम में आखिरी बार जाने के लिए अड़ गए। 20वीं सदी के शुरू में टाइफाइड जैसी छूत की बीमारी ने हजारों लोगों को संक्रमित किया। आज काफी लोग कोरोना के लिए जारी सावधानी को नजरअंदाज कर निश्चिंत घूम रहे हैं। ऐसे लोगों को अभूतपूर्व आपातकाल जैसी स्थिति में नैतिकता को बनाए रखना इतना कठिन क्यों लग रहा है।
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महामारी को लेकर 3 तरह की लापरवाही ( Careless Peoples Spread Coronavirus )
1. पहली अज्ञानता उनकी, जिन्होंने संकट का पता होने के बावजूद कुछ सप्ताह बाहर बिताए। ये शर्मनाक है। रेस्तरां, भीड़भाड़ या समूहों में घूमने वाले ऐसे लोग महामारी की गंभीरता को समझने में विफल साबित हो सकते हैं।
2. ऐसेे लोग जो मामूली काम से बाहर जाते हैं और खतरे मोल लेते हैं। ऐसे लोग खुद मौत को गले लगाते हैं। खासकर युवा, जिनके कोरोना के मामलों में ठीक होने की दर मृत्यु दर से अधिक है। ये तर्कहीन दृष्टिकोण है।
3. तीसरे वे लोग जो संक्रमित होते हुए सार्वजनिक स्थानों पर गए और मनाही के बाद देश लौट आए। उदाहरण के लिए आइसलैंड के कुछ नागरिक जानते थे कि वे संक्रमित हैं। इसके बावजूद वे जब स्वदेश लौटे तो एयरपोर्ट से सैनेटाइज बस की बजाय वे टैक्सी से गए और टैक्सी चालक को भी संक्रमण दे दिया।