मेक इन इंडिया के तहत देश में निर्मित अब तक की सबसे बेहतरीन आर्टिलरी गन के-9 वज्र से गोले दागे गए तो रेगिस्तान थर्रा उठा।
महाजन फ़ील्ड फ़ील्ड फायरिंग रेंज में चल रहे सप्त शक्ति कमान के सैनिकों के प्रशिक्षण में के -9 वज्र को चलाकर प्रशिक्षण दिया गया।
के-9 वज्र स्वदेशी आर्टिलरी का उम्दा उदाहरण है। अगस्त 2019 में देश में निर्मित कोरिया तकनीक की इस गन की पहली खेप सेना में शामिल की गई। इसका उपयोग पहाड़ी और रेगिस्तानी दुर्गम स्थलों पर आसानी से किया जा सकता है।
रेगिस्तान में इसके संचालन और निशाने पर सटीक प्रहार करने का भारतीय सैनिकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिससे युद्ध जैसे हालत में देश के पश्चिमी मोर्चे के दुर्गम रेगिस्तान में दुश्मन से दो-दो हाथ कर सकें।
बख्तरबंद वाहन पर लगे इस आर्टिलरी गन में 5 क्रू मेंबर रहते है। यह पूरी तरह वातानुकूलित होने से भीषण गर्मी में रेतीले धोरों में सैनिक काम ले सकते है।
सेंसर स्कैन सिस्टम लगा रहता है। जो न्यूक्लियर केमिकल वातावरण में होने पर स्कैन कर लेता है। यानि परमाणु या रसायनिक हमला होने वाली जगह पर भी काम में लिया जा सकता है। बख्तरबंद में सैनिक तक पहुंचने वाली ऑक्सीजन को शुद्ध कर पहुंचती है।